योग से निरोग तक- जाने शीर्षासन कैसे करें, फायदे, नुकसान और सावधानियां!

शीर्षासन को सभी योगआसनो का राजा कहा जाता है। इस हेडस्टैंड योग मुद्रा में, शरीर उलटा रहता है और शरीर के वजन को अग्र भुजाओं पर संतुलित किया जाता है, जबकि सिर आराम से जमीन पर होता है।

शीर्षासन के नियमित अभ्यास से शरीर को अनगिनत लाभ/फायदे होते हैं, लेकिन शुरुआत में शीर्षासन अभ्यास करना इतना आसान नहीं होता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, मैं आपको शीर्षासन के अद्भुत फायदे, इसे करने का सही तरीका और सुरक्षित अभ्यास के लिए सावधानीयां बताने जा रहा हूं।

शीर्षासन या हेडस्टैंड योग मुद्रा सभी उलटे होकर किये जाने वाले योग आसनो में सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय आसन है। शीर्षासन अंगों पर लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल के दबाव को उल्टा कर देता है जो आपके स्वास्थ्य के कई पहलुओं में फायदेमंद है, लेकिन आपको इसे सुरक्षित और सावधानी से अभ्यास करना चाहिए।

5 से 10 मिनट के लिए शीर्षासन अभ्यास के बहुत सारे फायदे हैं। हेडस्टैंड योग मुद्रा मस्तिष्क, कानों, आंखों और गर्दन क्षेत्र के लिए अच्छा होता है। चलो शीर्षासन के लाभों को विस्तार से जानते हैं|

शीर्षासन के लाभ/फायदे

  1. शीर्षासन में मस्तिष्क को शुद्ध रक्त प्राप्त होता है, जो आंख, कान, नाक इत्यादि को रोग मुक्त बनता है|
  2. यह पिट्यूटरी और पाइनल ग्रंथियों को स्वस्थ बनाता है और मस्तिष्क को सक्रिय करता है। यह स्मृति, कुशाग्रता (sharpness) और एकाग्रता को बढ़ाता है।
  3. शीर्षासन पाचन तंत्र, पेट, आंतों और यकृत(liver) को सक्रिय करता है और पेट की पाचन शक्ति को बढ़ाता है। शीर्षासन अभ्यास से आप पेट में अत्यधिक गैस बनने की समस्या(farting) और कब्ज में सुधार महसूस करेंगे।
  4. शीर्षासन करने से आंतों(intestines), हर्निया, हिस्टीरिया, हाइड्रोसेल और वैरिकाज़ नसों (varicose veins) आदि में सूजन और वृद्धि ठीक हो जाती है।
  5. यह थायराइड ग्रंथि को सक्रिय करता है तथा मोटापे और कमजोरी दोनों को कम करता है क्योंकि ये दोनों बीमारियां थायराइड ग्रंथि के कामकाज में अनियमितता के कारण होती हैं।
  6. शीर्षासन आपकी थायराइड ग्रंथि को सक्रिय करके ब्रह्मचर्य स्थापित करने में मदद करता है। यह रात्रि पतन (night fall), सूजाक (gonorrhea), नपुंसकता और बांझपन आदि को ठीक करता है। यह चेहरे पर चमक और जीवन शक्ति को बढ़ाता है।
  7. बालों के असामयिक रूप से गिरने, और समय से पहले सफ़ेद होने को शीर्षासन के नियमित अभ्यास से ठीक किया जा सकता है।
  8. शीर्षासन आपके दिमाग को आराम देता है और आपको तनाव मुक्त करने में मदद करता है।
  9. हेडस्टैंड योग(शीर्षासन) के नियमित अभ्यास से आपके हाथ, कंधे, पैर और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है।

शीर्षासन कैसे करें? जानें आसान और सही तरीका!
चरण 1 (Step 1): शीर्षासन को करने के लिए योगा मेट (Yoga Mat) या मोटा तौलिया या कुशन(आरामदायक तकिया) बिछा लें। दोनों हाथों की उंगलियों को फंसाकर सिर को दोनों हाथों के बीच में कुशन पर रखें और कोहनीयां जमीन पर आराम से रखें।

चरण 2 (Step 2): सिर के ऊपर का हिस्सा कुशन पर रखकर घुटनों को जमीन पर आराम से रखें। अब गर्दन और कोहनी पर शरीर के वजन को नियंत्रित करते हुए, पैरों को जमीन के स्तर (ground level) पर सीधा करें।

चरण 3 (Step 3): अब एक घुटने को झुकाते हुए, इसे सीधे उठाएं, इसके बाद दूसरा पैर उठाएं और पैरों को घुटनों तक झुकाएँ।

चरण 4 (Step 4): अब एक-एक करके पैरों को ऊपर सीधा उठाने का प्रयास करें, शुरुआत में जल्दबाजी ना करें जबकि धीरे-धीरे पैर सीधे करने का प्रयास करें| जब पैर सीधे होते हैं, तो शुरुआत में उनका संतुलन बनाने के लिए उन्हें थोड़ा आगे झुकाएँ अन्यथा आपके पीछे की ओर गिरने की संभावना होती है।

नोट: आंखों को बंद रखें, और सामान्यतया सांस (Breath Normally) लें।

चरण 5 (Step 5): मूल स्थिति पर वापस आने के लिए रिवर्स ऑर्डर में इन ही चरणों (Steps) का पालन करें। जैसा कि आप चाहें, शीर्षासन के तुरंत बाद कुछ देर शवासन करें या फिर सीधे खड़े हो जाएँ, ताकि मस्तिष्क की ओर बहने वाला रक्त परिसंचरण सामान्य हो जाएं।

यदि कोई भी शीर्षासन के बाद बालासन करता है तो ये अधिक फायदेमंद होगा।

शुरुआती लोग(नौसिखिया) शीर्षासन कैसे करें?
यदि आपको शीर्षासन करने में अधिक कठिनाई हो रही है (आप शीर्षासन करने में सक्षम नहीं हैं), तब आप दीवार के सहारे इसका अभ्यास कर सकते हैं।

चरण 1 (Step 1): शीर्षासन करने के लिए दीवार के पास योग मैट बिछा लें|

चरण 2 (Step 2): अपनी कोहनियों को एक साथ लेकर, अपनी उंगलियों को फंसा लें और अपने सिर को हाथों के बीच रखें। फिर अपने पैरों को स्वयं या किसी परिवार के सदस्य या मित्र की मदद से उठाने का प्रयास करें।

चरण 3 (Step 3): अपने पैरों को दीवार के सहारे सीधा करें और जितना देर आराम से कर सकें उतना देर संतुलन कर के रखें।

चरण 4 (Step 4): धीरे-धीरे स्वयं या किसी की मदद से सामान्य स्थिति में वापस आएं और कुछ समय के लिए शवासन की मुद्रा में आराम करें।

यदि आप इसे दीवार के साथ भी करने में सक्षम नहीं हैं तो आप हाफ हेडस्टैंड मुद्रा(अर्ध शीर्षासन) का अभ्यास करें, यह आपके शरीर को उलटा होने पर संतुलन प्रदान करने में सुरुवाती मदद करेगा|

शीर्षासन कितने समय तक करना चाहिए?
शुरुआत में इसका अभ्यास 15 सेकंड के लिए करें और धीरे-धीरे आप इसे 30 मिनट तक बढ़ा सकते हैं। यदि आप शीर्षासन लंबे समय तक अभ्यास करना चाहते हैं तो आपको इसे विशेषज्ञ की देखरेख में करना चाहिए।

सामान्य परिस्थितियों में यह 5 से 10 मिनट के लिए ही पर्याप्त है। नियमित इतने समय के लिए करने से आपको बहुत फायदा होगा|

सुरक्षित शीर्षासन अभ्यास के लिए सावधानियां:

  1. जो लोग कान में दर्द और कान में स्राव से परेशान हैं, उन्हें शीर्षासन नहीं करना चाहिए।
  2. अगर Shortsightedness हो या आंखें अनावश्यक लाल हों, तो इस आसन को न करें।
  3. हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और पीठ दर्द से पीड़ित लोगों को शीर्षासन (हेडस्टैंड आसन) नहीं करना चाहिए।
  4. कोई भारी व्यायाम या आसन करने के तुरंत बाद शीर्षासन मत करो। इस आसन के दौरान शरीर का तापमान सामान्य होना चाहिए।
  5. ठंड और जुकाम से पीड़ित होने पर इस आसन को नहीं करना चाहिए।
  6. कमजोर, बीमार और बूढ़े व्यक्तियों को शीर्षासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
  7. यदि आप शुरुआती हैं तो विशेषज्ञ की देखरेख में इसका अभ्यास करें।
  8. यदि आप गर्दन, कंधे और भारी सिर दर्द से पीड़ित हैं, तो शीर्षासन का अभ्यास न करें।
  9. धीरे-धीरे और अपनी क्षमता के अनुसार शीर्षासन का अभ्यास करना चाहिए, जैसा कि आप जानते होंगे कि कोई भी कुछ दिनों में विशेषज्ञ नहीं बन जाता है।

शीर्षासन अभ्यास से पहले इसके नुकसान (दुष्प्रभावों/हानियों) को जरूर जानें:
हममें से अधिकांश इसे विशेषज्ञ योग शिक्षक की देखरेख में नहीं करते हैं और हम गलतियां करते हैं जोकी हमारे लिए हानिकारक है।

डॉ टिमोथी मैककॉल (योगा जर्नल के मेडिकल एडिटर) के मुताबिक शीर्षासन (हेडस्टैंड पॉज़) गर्दन में तंत्रिका संपीड़न, रेटिनाल आँसू और यहां तक कि गर्दन में विकृत गठिया का कारण बन सकता है अगर कोई शीर्षासन गलत तरीके से या लंबे समय तक करता है।

लेकिन यदि आप गर्दन, कान, आंखों, पीठ की समस्याओं से पीड़ित हैं, तो आपको शीर्षासन का अभ्यास सुरक्षित रहने के लिए नहीं करना चाहिए।

यदि आप एक नौसिखिया हैं तो अपने योग शिक्षक को यह बताएं कि, आपने कभी भी हेडस्टैंड पॉज़ (शीर्षासन) नहीं किया है और अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में भी साफ़ साफ़ बताएं। # सुरक्षित अभ्यास के लिए योग शिक्षक के निर्देशों का पालन करें।