विकास दुबे के गुर्गे उमाकांत शुक्ला उर्फ गुड्डन उर्फ बउअन ने शनिवार को चौबेपुर थाने में नाटकीय ढंग से सरेंडर किया। पत्नी व बेटी के साथ थाने पहुंचते ही उसने साष्टांग प्रणाम किया। इसके बाद बोला, दबिश से डरा हुआ हूं। मैं घटना में शामिल था। मुझे आत्मग्लानि है। खुद हाजिर हो रहा हूं। मेरी जान की रक्षा की जाए, मुझ पर रहम करें। यही सब उसके गले में लटकी तख्ती में भी लिखा था।
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उमाकांत पर 50 हजार का इनाम भी है। विकास दुबे अपनी दहशत कायम रखने को हैवानियत की किसी भी हद को पार करने को तैयार रहता था। खेतों पर कब्जे को लेकर एक ग्रामीण ने जब उसके खिलाफ आवाज उठाई तो उसने उसको बीच गांव में पीटा और मुंह पर पेशाब कर दिया था।
ऐसी क्रूरता और दरिंदगी की वजह से लोग उससे खौफ खाते थे। इसका खुलासा करने के साथ ही उमाकांत ने बताया कि विकास इंसान नहीं राक्षस था। उसके लिए इंसान की जान की कीमत नहीं थी। मजबूरी में लोग उसका साथ देते थे। विकास की दहशत की दास्तां सुन पुलिस के भी रोंगटे खड़े हो गए।
बिकरू कांड में विकास के साथ गांव के उमाकांत शुक्ला ने भी ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थीं। एसटीएफ और पुलिस उसे पकड़ने में नाकाम रही। शनिवार सुबह उमाकांत परिवार के साथ चौबेपुर थाने पहुंचा। सीओ संतोष कुमार सिंह से बोला, मेरा नाम उमाकांत है।
मुझे गिरफ्तार कर लो। पुलिस ने पत्नी और बेटी को घर भेज दिया। उमाकांत को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की। इस पर उसने बताया कि पुलिस हर दिन घर व रिश्तेदारों के यहां दबिश दे रही थी। डर था कि कहीं उसका भी एनकाउंटर न हो जाए। इसलिए वह सरेंडर करने थाने पहुंच गया। पत्नी और बेटी को इसलिए साथ लाया, जिससे पुलिस रहम करे।
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लाइसेंसी राइफल से दागीं थीं गोलियां
उमाकांत ने बताया कि विकास के कहने पर उसने अपनी लाइसेंसी राइफल से पुलिस कर्मियों पर गालियां दागीं थीं। घटना के बाद विकास ने कहा था कि सब लोग अलग-अलग हो जाओ। इसलिए वह शहर दर शहर घूमता रहा। जब कोई रास्ता बचने का नहीं दिखा तो थाने में सरेंडर करने की योजना बनाई।
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Source amar ujala