अगले साल अप्रैल तक मिलेंगे 16 और राफेल, जानें कैसे भारत को लड़ाकू विमानों की डिलीवरी

 

राफेल की नई खेप भारत आने वाली है. (फाइल फोटो)

राफेल की नई खेप भारत आने वाली है. (फाइल फोटो)

भारत ने फ्रांस से 59 हजार करोड़ के सौदे के तहत 36 राफेल विमानों (Rafale) का सौदा किया है. अब तक देश को 5 राफेल मिल चुके हैं. 3 राफेल एक हफ्ते के भीतर आने वाले हैं. अप्रैल 2021 तक भारत के पास 16 राफेल हो जाएंगे.

 

नई दिल्ली. भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) की ताकत में अगले साल यानी अप्रैल 2021 तक और इजाफा होने वाला है. एक ओर जहां इस साल पांच राफेल (Rafale) आने के बाद वायुसेना पहले से और ज्यादा मजबूत हो चुकी है वहीं एक हफ्ते के भीतर 3 और राफेल हरियाणा स्थित अंबाला एयर स्टेशन पर लैंड कर जाएंगे. इतना ही नहीं अगले साल 2021 के अप्रैल तक भारत के पास कुल 16 राफेल हो जाएंगे. इस साल 29 जुलाई को देश को पांच राफेल मिले. बता दें वायुसेना ने 59 हजार करोड़ रुपये में फ्रांस से 36 राफेल का सौदा किया है.

अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स के अनुसार नवंबर के बाद तीन जनवरी में फिर मार्च में तीन और अप्रैल में 7 राफेल लड़ाकू विमान भारत को मिल जाएंगे. जिसके बाद तब तक कुल राफेल विमानों की संख्या 21 हो जाएगी जिसमें से 18 लड़ाकू विमान  गोल्डन एरो स्क्वाड्रन में शामिल हो जाएंगे. बाकी तीन लड़ाकू विमानों को पूर्वी मोर्चे पर चीन का मुकाबला करने के लिए उत्तर बंगाल के अलीपुरद्वार में हाशिमारा एयरबेस पर भेजा जा सकता है.

इन हथियारों से लैस हैं राफेल
सभी लड़ाकू विमान स्कैल्प एयर-टू-ग्राउंड क्रूज मिसाइलों के साथ माइका और मेटर एयर-टू-एयर मिसाइलों से लैस हैं. वहीं भारत ने सफरान से 250 किलोग्राम वारहेड के साथ एयर-टू-ग्राउंड मॉड्यूलर हथियार- हैमर के लिए अनुरोध किया है.रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि फ्रांस भारत में अधिक राफेल लड़ाकू विमानों की पेशकश करने के लिए तैयार है, वहीं सफरान का भारत में स्नेक एम 88 इंजन बनाने का प्रस्ताव अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जाने के चार साल पहले से है.

भारत इन देशों की सूची में हो सकता है शामिल?
IAF ने 83 LCA मार्क IA जेट्स खरीदने की योजना बनाई है, जिससे तेजस वेरिएंट्स की कुल संख्या 123 तक हो जाएगी. सफरान के बारे में कहा जा रहा है कि वह बिना किसी तीसरे-देश के स्पेयर पार्ट्स के इंजन की पेशकश करने को तैयार है, ताकि अतिरिक्त अप्रूवल की जरूरत न हो और 100% स्वदेशी रहे.

इस गुरुवार को पेरिस में विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला की फ्रांस, यूके और जर्मनी यात्रा के दौरान यह फ्रांसीसी प्रस्ताव चर्चा में शामिल हो सकता है. एक ओर जहां DRDO अपने लड़ाकू इंजन डेवलपमेंट वर्क्स करता रहेगा वहीं सफरान इंजन डेवलपमेंट और मैन्युफैक्चरिंग के बीच की कमी को पूरा कर देगा.

केवल अमेरिका, रूस और फ्रांस के पास ही लड़ाकू जेट इंजन का उत्पादन करने की क्षमता है, चीन अभी भी अपने जेट लड़ाकू विमानों जैसे कि जे -31 और जेएफ -17  के लिए रूसी आरडी -93 और आरडी -33 इंजन का उपयोग कर रहा है.

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