नर्मदा विकास संभाग क्रमांक 21 सनावद की ट्रेजरी में लगी सेंध, करोड़ों के घोटाले का खुलासा कोषालय की जांच में आया सामने

नर्मदा विकास संभाग 21
नर्मदा विकास संभाग क्रमांक 21 सनावद

सनावद (दिनेश पाटनी/ओम प्रकाश कीवे )। जहां शासकीय योजनाएं हैं वहां पैसा है और जहां जिन कार्यालय में योजना और पैसा है। वहां आर्थिक भ्रष्टाचार एवं अनियमिताएं है। लेकिन कमीशन वाले सिस्टम मे शामिल जनों द्वारा अधिक अर्थ कमाने के लिए नए-नए तरीके ईजाद किये जा रहे हैं। जिसमें अपने ही साथी कर्मचारियों की भविष्य निधि, रिटायरमेंट आदि की राशि मैं 50% से अधिक गोलमाल करने के तरीके शामिल होते हैं।

ऐसे में कभी-कभी पीड़ित की शिकायत पर जांच  एंजसियो कार्यवाही करती है। लेकिन जब कर्मचारियों की राशि मे करोड़ों के गोलमाल करने के नवाचार  को पकड़ा जाए, वह भी रूटिंन ऑडिट में संभागीय जिला लेखा एवं कोष द्वारा तो वह ना केवल चौंकाने वाला होता है , बल्कि तरीके के सूक्ष्म परीक्षण का विषय भी होता है। इस परिदृश्य में सनावद मैं निर्माण क्षेत्र से जुड़े एक कार्यालय में करोड़ों का मामला सामने आया है, इस बारे में अधिकृत जानकारी के लिए करीब एक सप्ताह का समय लगना कहां जाता है वही दबी जुबान में  सुनी_सुनाई  की माने तो  कथित सूत्रधार और उसके एक सहायक के अकाउंट को सीज कर संलग्न अन्य चेहरों के बारे में पड़ताल की जा रही है।

नर्मदा विकास संभाग क्रमांक 21 सनावद – मामला ट्रेजरी में सेंध का

बतादे कि इंदौर कलेक्टोरेट में अनुकंपा नियुक्ति से नौकरी पर लगे बाबू मिलाप चौहान ने जिस तरह करोड़ो का घोटाला किया  ठीक लगभग इसी तरह से नर्मदा विकास संभाग क्रमांक 21 सनावद (जिला खरगोन ) द्वारा  ट्रेजरी में सेंध की गई है। इस बारे में जॉइंट डायरेक्टर कोष एंव लेखा विभाग की माने तो संचालनालय  कोष एवं लेखा मध्य प्रदेश द्वारा आईएफएमआईएस में उपलब्ध कोषालयीन रिकॉर्ड की जांच में यह खुलासा हुआ है। जिसके रहते ट्रेजरी में सेंध से जुड़े अन्य नगरों की तरह अब  सनावद के सभी कार्यालयों में भी कोषालयीन रिकॉर्ड की जांच होना है। ऐसे में नगर क्षेत्र के संबंधित सभी विभागों के कार्यालयो के डीडीओ अधिकारियों को अपने गिरेबां में झांकने और सजगता वापरने की जरूरत है। ताकि वह परिवार के मुखिया की तरह कर्मचारियों का ध्यान रख सके।

वैसे घटना की जो जानकारी सूत्रानुसार नर्मदा विकास संभाग क्रमांक 21 के बाबू और कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा करीब करीब 3 करोड़ रुपए की  राशि में से अमानत में खयानत करने का मामला सामने आया है । इसके अलावा शेष जांच दौरान यह राशि बढ़कर 5 करोड़ तक भी पहुंच सकती है। जबकि फिलहाल विभागीय स्तर की कार्रवाई में सम्बंधित बाबू को उसकी सीट से हटा दिया गया है और  निलंबन, बर्खास्ती प्रक्रिया चलने की बात  कही_सुनी जा रही है। जिसकी पुष्टि के लिए संबंधित अधिकारी से संपर्क करने के प्रयास और कार्यवाही में प्रगति संबंधी अधिकृत जानकारी  की फिलहाल प्रतीक्षा की जा रही है।

ट्रेजरी मे सेंध का 2019_20 से चल रहा है खेला

 ट्रेजरी में सेध लगाकर  नघावि संभाग क्रमांक 21 में कर्मचारियों के रिटायरमेंट एंव एरियर जैसे भुगतान  की राशि का  संबंधित कर्मचारी के  खातो  मे जमा करने की बजाय “अधिकृत डाटा” में  डीडीओ कोड से जिन खाता नंबरो में उक्त राशि को जमा करने का खेला किया गया है । उसमें एक खाता नंबर  इस कारस्तानी के सूत्रधार अनुकम्पा नियुक्ति में पदस्थ सहायक ग्रेड_3  एनपीएस कर्मचारी का होना बताया जाता हैं। जबकि इसके अलावा डीडीओ कोड से जिन भी खाते में (फेंक ) रुपए ट्रांसफर किए गए है, वह चाहे या अनचाहे इस प्रकरण में हिस्सेदार बन गए हैं। ऐसे  में चल रही जांच में आने वाले दिनों में अधिकृत तौर पर, होने वाले खुलासे में अभी और भी चौंकाने वाली जानकारी शेष बताई जाती है

दरअसल, ट्रेजरी मैं सेध लगाकर वास्तविक खातेदार की जगह फर्जी तरीके से अन्य में खाते मे राशि जमा होने का पता आईएफएमआईएस के जरिये डुप्लीकेट एंट्री की कमांड डालकर की गई जांच के दौरान  चला । ऐसे में अब तक खरगोन जिले के कसरावद सहित प्रदेश के 13 जिलों की 16 जगहो पर 60 करोड़ की गड़बड़ी मिलने पर 79 लोगों पर केस दर्ज होकर 33 करोड़ की रिकवरी की जा चुकी है। इस कड़ी में 2019 – 20 से  नघावि संभाग क्रमांक 21 मे चल रहा खेला पकड़ में आया है। जबकि प्रकरण में चल रही स्थानीय व जिला  ट्रेजरी मैन्युअल जांच की आंच से अन्य विभाग  के कार्यालयो  में गर्म चर्चाएं कही सुनी जा रही है।

पोर्टल के नए वर्जन से उजागर हुआ मामला  

साल 2018 के पहले राज्य कोषालय से लेनदेन का अधिकार ट्रेजरी से जुड़े अधिकारियों के पास था यह ऑफलाइन बिलों की जांच के आधार पर होता था 2018 के बाद इसे आईएफएमआईएस ( इंटीग्रेटेड फाइनेंशियल मैनेजमेंट इनफॉरमेशन सिस्टम आफ बैरर) के जरिए ऑनलाइन कर दिया। अलग-अलग विभाग के अधिकारियों को इसका डीडीओ (आहरण और वितरण अधिकारी) नियुक्त किया गया था। इसके बाद से ट्रेजरी अधिकारी ने ना तो अकाउंट बनाते तहै और ना ही उनकी जांच करते हैं।

इसी खामी का फायदा उठाकर डीडीयो और बाबुओं ने मिलकर गलत तरीके से लाखो करोड़ों रुपए की निकासी शुरू कर दी। मामला तब उजागर हुआ जब कोषालय विभाग के पोर्टल का नया वर्जन आया। इसमें आईएफएमआईएस के जरिए भोपाल मुख्यालय में बैठ कर धअधिकारियों की टीम ने डुप्लीकेट एंट्री की कमांड डालकर जांच शुरू की। तो पता चला कई जिलों में गड़बड़ी हुई है ।

2019 से नर्मदा विकास संभाग क्रमांक 21 कार्यालय में कार्यरत कॉन्टिजेंसी फंड और वर्क चार्ज के हितग्राही कर्मियों की निधि में गबन किया जा रहा था। पिछले तकरीबन 20 दिनोंसे इस बारे में कोष एंव लेखा आयुक्त ऑडिट दल द्वारा जांच की जा रही थी। विगत दिवस अपना काम पूरा कर ऑडिट दल द्वारा  जांच प्रतिवेदन आगामी विधि कार्यवाही के लिए वरिष्ठ कार्यालय को दे  दिया गया है।

सूत्रानुसार जांच में आरोपियों द्वारा शासकीय ट्रेजरी की आईएफएमआईएस प्रणाली अंतर्गत ट्रेजरी कोड, वित्तीय कोड और रिलीज नियम के कंप्यूटर में बनाए गए डेटाबेस को ब्रेक कर हितग्राहियों की अमानत में ख्यानत तथा शासकीय राशि में गबन होना बताया गया है। जिसमें विभिन्न हितग्राहियों को किए जाने वाली  2 करोड़ 83 लाख रुपए से अधिक राशि  के भुगतान को संभागीय कार्यालय के बाबू द्वारा कंप्यूटर ऑपरेटर के सहयोग से अन्य 19 बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाना बताया जाता है। वही उक्त जांच प्रतिवेदन पर मध्य प्रदेश संचालनालय कोष एवं लेखा कार्यालय द्वारा जल्द ही प्रकरण से जुड़े मुख्य और सह आरोपी, संबंधित बैंक खातेदारो के साथ स्थापना शाखा कर्मचारी और डीडीओ अधिकारी की भूमिका के बारे में निर्णय लेकर तद्नुसार विधि कार्यवाही  प्रस्तावित की जाने की बात कही जा रही है ।

आईपीसी प्रावधान तहत होगी कार्यवाही

जहां प्रस्तावित कार्यवाही पर आगामी दिनों में  इस मामले में संलग्न संबंधित आरोपियों पर  विभागीय स्तर और संचलनालय कोष एवं लेखा मध्य प्रदेश द्वारा कार्यवाही संभावित है। वही  मामले को लेकर विधि जानकारो की माने प्राथमिक सूचना रिपोर्ट पर आईपीसी की धारा 120 बी, 420, 467, 468 व धारा 409 में संबंधित आरोपियों पर प्रकरण  दर्ज किया जाना तथा मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी और उनकी संपत्ति कुर्क करने की कार्यवाही होना संभव है । ताकि कुर्क  संपत्तियों को बेचकर मिलने वाली राशि शासकीय ट्रेजरी में जमा की जा सके। जबकि हितग्राहियों की राशि में अमानत में खयानत के अलावा यह मामला मुख्य रूप से तकनीकी तरीके द्वारा शासकीय राशि में गबन से जुड़ा है।

शासकीय ट्रेजरी लिंक ब्रेक कर 19 अन्य खातों में डाली गई राशि    

दरअसल उपलब्ध जानकारी मुताबिक 2019 से 2023 दौरान नघावि संभाग 21 में  कॉन्टिजेंसी फंड और वर्क चार्ज पर काम करने वाले  जिन कर्मियो के जीपीएफ /सेवानिवृत्त / मृत्यु राशि को उनके  अकाउंट में जमा किया जाना था। ऐसी तकरीबन 2 करोड़ 83 लाख रुपए की राशि को शासकीय ट्रेजरी लिंक को ब्रेक कर उस  राशि को कंप्यूटर ऑपरेटर बृजेश राठौर के सहयोग से मुख्य आरोपी बाबू अखलेश मंडलोई जिन 19 खातों में ट्रांसफर करने का खेला हुआ है। वह लगभग सभी  बैंक खाते  आरोपी मंडलोई के निकट परिजन, रिश्तेदार और दोस्तो आदि के नाम पर होना बताए जाते  हैं।

प्रॉपर्टी खरीदी और अय्याशी पर खर्च किया

एक और कंप्यूटर  लिंक को ब्रेक कर कर ट्रेजरी में सेध लगाकर शासकीय राशि में गबन और हितग्राहियों की अमानत में खयानत करने वाले  इस  प्रकरण में अभी संबंधितो की भूमिका, प्रकृति अनुसार अपराध अनुसार संबंधितो पर आरोप तय किए जाने तथा उन पर विधि कार्यवाही प्रस्तावित किए जाने की प्रक्रिया प्रचलन में है।

दूसरी और कथित गबन राशि के खर्चे के बारे में कार्यालय मे आरोपियों द्वारा अनुपात हीन  चल-  अचल संपत्ति  को नामी बेनामी नाम से खरीदने के अलावा पारिवार की तीर्थ तीर्थ धाम यात्रा, हवाई जहाज से अन्य देश की  यात्रा करने और बड़े शहरों में  लग्जरी होटलो में रुककर अय्याशी पर भारी खर्च किए जाने की आम चर्चा भी कही_सुनी जाती  है।