
- एनपीए-खराब सीबील वाले ईकाईयों को भी बीना गारंटी के लोन का निर्णय सराहनीय…
- कोरोना लोकडाउन में सब से ज्यादा असर सूक्षम-लघु एवम मध्यम स्तर के उद्योगो को हुआ…
- बैंक वाले कहते है- आरबीआई गाईडलाईन आने के बाद पता चलेंगा कि पोलीसी क्या है…
०-जीएनएस. प्रवीण घमंडे
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कोरोना राहत पैकेज की पहली किस्त का ब्यौरा जनता के सामने रखा था. सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग से जुड़े लोगों को राहत देने की कोशिश की. इस सेक्टर को तीन लाख करोड़ रुपये का कोलेटरल फ्री लोन दिया जाएगा. इसके लिए काउंटर गारंटी या कोई संपत्ति दिखाने की जरूरत नहीं रहेगी
ये लोन 25 करोड़ रुपये तक के होंगे.
इनमें 100 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाली कंपनियों को फायदा होगा. चार साल के लिए ये लोन होगा और एक साल के लिए मोराटोरियम है यानी एक साल तक इसके किस्त आपको नहीं चुकाने हैं. 31 अक्टूबर 2020 तक इस पर कोई गारंटी फीस नहीं लगेगी. 45 लाख उद्यमियों को इससे लाभ होगा.
इस बारे में जब जीएनएस द्वारा कुछ सिनियर बैंक अफसर और सीए से बात कर वित्त मंत्री की घोषणा के बारे में जानने की कोशिश की गइ तब ये बात सामने आई की मोदी सरकार के ये प्रयास सराहनीय है और कोरोना लोकडाउन की वजह से पूरा बाजार सिकुड सा गया हो तब वित्त मंत्रालय के पैकेज से उसे बूस्टर डोज मिल मीला है.
बैंकिंग सैक्टर का मानना है कि मंत्री महोदयाने बीना गारंटी के सभी को यानि 45 लाख एमएसएमई ईकाइयों को 3 लाख करोड की लौन देने की घोषणा की है, लेकिन बैकवाले आरबीआई के नियमो के तहत चलते है. इसलिये जब तक आरबीआई की गाइडलाईन नहीं आती तब तक उसे अमली जामा कीस तरह से पहनाना उसके बारे में वे कुछ नहीं कह सकते.
खास कर मंत्रीने उन्हें भी लौन का वादा कीया जिसने पहले से ही लोन ले रखी है लेकिन वापिस नहीं की. यानी जो एनपीए में है और जिसका सीबील भी ठीक नहीं उसे भी लोन देने का निर्णय सराहनीय कहा जा रहा है.
क्योंकि हो सकता है की किसी कारणवश वह इकाई लोन की ईएमआई समय पर नहीं दे सके होंगे. लेकिन अब उस ईकाई को भी बीना गारंटी से लोन दे कर उसे फिरसे खडा करने का प्रयास है.
सरकार के विशेष कर वित्त मंत्रालय के निर्णयो को अमल आरबीआई द्वारा बैंको के जरिये किया जाता है. 3 लाख करोड की लोन बिना गारंटी से 45 लाख लघु एवम मध्यम स्तर के ईकाईयों को देने का फैंसला बेंक के ब्रान्च मेनेजर ही करेंगा.
कोरोना लोकडाउन की वजह से अर्थतंत्र को भारी नुकशान पहुंचा है तब सब से ज्यादा नुकशान सूक्ष्म-लघु एवम मध्यम ईकाईयों को हुआ है. मोदी सरकार द्वारा उन्हें बचाने के लिये जो पैकेज घोषित किया गया है वह सराहनीय है. देखना यह है कि बैक और अन्य एजन्सीयां उसका किस तरह से अमल करते है. सरकार ने इन ईकाईयों को लोन लेने में दिक्कत न हो इसलिये उनकी परिभाषा भी बदल दी गई है.
एमएसएमई की परिभाषा भी सरकार ने बदल दी है ताकि ज्यादा से ज्यादा उद्योगों और उनमें काम करने वालों को फायदा मिले. अब एक करोड़ रुपये तक निवेश करके पांच करोड़ रुपये तक कारोबार करने वाले उद्योग सूक्ष्म में आएंगे. 10 करोड़ तक का निवेश करके पचास करोड़ तक कमाने वाली कंपनियां लघु उद्योग में आएंगी.
वहीं, 20 करोड़ का निवेश करके 100 करोड़ तक का कारोबार करने वाली कंपनियां मध्यम उद्योग में आएंगी. साथ ही सरकार ने फैसला किया कि अब दो सौ करोड़ रुपये के लिए ग्लोबल टेंडर की इजाजत नहीं लेनी होगी. सरकार का कहना है कि वो दूरगामी नतीजों वाले कदम उठा रही है.
दरअसल, आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का एलान किया था. बुधवार को उसकी पहली किस्त का ब्योरा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिया. इसमें छोटे उद्योगों में काम करने वालों पर राहत बरसाई गई है.
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