बड़वाह से बड़ौदा तक पहुंचे मदद के हाथ

विधिक सहायता से अंतराज्यीय मदद का पहला मामला

पैरालीगल वालिंटियर दीपमाला शर्मा का विशेष सराहनीय सहयोग, ना केवल पति पत्नी को मिलवाया, बल्कि जीवन संघर्ष भी सिखाया

बड़वाह।विधिक सहायता के अंतर्गत बड़वाह से बड़ौदा तक पैरालीगल वालंटियर दीपमाला शर्मा ने कैंसर पीड़ित को उपचार में मदद पहुंचाई है। ज्ञात हो कि कोरोना महामारी के चलते बड़वाह के पास के गांव के रहने वाले महेश और उसकी पत्नी चंदा लॉकडाउन के कारण बड़ौदा में ही अटक गए थे जिससे उन्हें उपचार के दौरान बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा जिसके लिए विधिक सहायता के तहत बड़वाह से लेकर बड़ौदा तक निरंतर मदद पहुंचाई जाने से उसका उपचार आसान हुआ।

2020 के प्रारंभ में महेश का अपनी पत्नी से विवाद होने पर पैरालीगल वालंटियर कुमारी दीपमाला शर्मा द्वारा महिला परामर्श केंद्र बड़वाह में उनकी सुलह समझाइश करवाई जाकर एक साथ रहने के लिए राजी किया था। महेश को पूर्व से ही कैंसर की बीमारी होने व बवासीर होने से उसका वैवाहिक जीवन कठिन हो चला था। पत्नी के वापस आ जाने से महेश अपने उपचार के लिए तैयार हुआ और बड़ौदा जाकर के उपचार करवाने लगा, मगर कोरोना के कारण उसे बहुत सारी परेशानियां उठानी पड़ी।

पत्नी से विवाद के चलते उपचार ना कराने पर उसका प्रधानमंत्री स्वास्थ्य योजना का कार्ड भी बंद हो गया था जिसे पैरालीगल वालंटियर द्वारा वहां के चिकित्सक से संपर्क कर उसे चालू करवाया गया। कोरोना की अवधि में भी पूरा बड़ौदा बंद रहा जिससे महेश को रहने और खाने के लिए समय पर पैसा उपलब्ध नहीं हो सका, जिसके लिए भी बड़वाह से पैरालीगल वालंटियर दीपमाला शर्मा द्वारा कभी जेलर साहब बड़वाह से, तो कभी अन्य से सहयोग राशि लेकर के महेश को मदद पहुंचाई गई।

महेश को विशेष सहयोग और मदद तब प्राप्त हुई जब बड़ौदा जिला न्यायालय के जिला विधिक सहायता अधिकारी सुजीत सिंह से संपर्क होने पर उन्होंने वहां के पैरालीगल वालंटियर वसीम और एनजीओ की मदद से महेश व उसकी पत्नी को अप्रैल व मई माह के विशेष लॉकडाउन के बावजूद भी रहने खाने और अन्य सामग्री के लिए निरंतर मदद पहुंचाई।

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विधिक सहायता के माध्यम से किसी अन्य प्रदेश के व्यक्ति को इस तरह की मदद पहुंचाने का यह पहला मामला है। कहीं न कहीं महेश की किस्मत अच्छी थी जो दोनों पति-पत्नी के आपसी सामंजस्य से उसे आवश्यक उपचार मिलता रहा एवं हर संभव मदद भी उपलब्ध होती रही।

अप्रैल और मई के शुरुआती लॉकडाउन में जब महेश की तबीयत बहुत ज्यादा खराब होने लगी थी तब उसकी निराशा का आलम खुदकुशी करने तक पहुंच गया था। जिसे पैरा लीगल वालंटियर दीपमाला शर्मा द्वारा निरंतर आत्मविश्वास जगाकर उसके बच्चे और परिवार का हवाला देकर उसे उपचार के लिए तैयार किया गया।

जुलाई माह के प्रारंभ में जब रेल चलने लगी तब महेश काफी हद तक स्वस्थ होकर वापस बड़वाह आया। अब उसे उसे हर 20 दिन बाद बड़ौदा जाकर उपचार में एक स्लाइन बॉटल लगवानी है, जिसे वह बड़वाह में भी नहीं लगवा सकता, क्योंकि एक बॉटल पर 12 से 15 हजार का खर्चा बताया जाता है, जो आयुष कार्ड से उपचार लेने पर ही सम्भव है।आगे कितनी बार यह उपचार लेना होगा इस संबंध मे अभी स्पष्ट नही है।

पैरालीगल वालिंटियर दीपमाला के बड़वाह से बड़ोदा तक एवं कोरोना काल मे गरीबो के लिए की गई उत्कृष्ट सेवा सहयोग के लिए चंडीगढ़ की राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाली संस्था ने भी प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सराहना की है।