पंद्रहवें वित्त आयोग ने 2021-22 से अगले पांच साल के लिए सिफारिशों वाली अपनी रिपोर्ट पीएम नरेंद्र मोदी को सौंप दी है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Prez Ramnath Kovind) को 15वें वित्त आयोग ने (15th Finance Commission) वर्ष 2021-22 से 2025-26 के लिए अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. आयोग ने रिपोर्ट में अलग-अलग राज्यों की परिस्थितियों, समस्याओं और चुनौतियों के मुताबिक अपनी सिफारिशें तैयार की हैं.
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को 15वें वित्त आयोग ने वर्ष 2021-22 से 2025-26 के लिए अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इससे पहले एनके सिंह की अध्यक्षता वाले इस आयोग (15th Finance Commission) ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) को भी अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) को भी रिपोर्ट की एक कॉपी 17 नवंबर को सौंपी जाएगी.
केंद्र व राज्य सरकारों, विभिन्न स्तर की लोकल गवर्नमेंट, वित्त आयोग के पूर्व चेयरमैन व इसके सदस्यों, कमिशन की एडवाइजरी काउंसिल, संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों, शैक्षणिक संस्थानों और अन्य दूसरे संस्थानों के साथ विचार-विमर्श तथा मैराथन बैठकों के बाद ये रिपोर्ट तैयार की गई है.
वित्त मंत्री सीतारमण वित्त आयोग की रिपोर्ट संसद में करेंगी पेश
भारत सरकार की एक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन इस रिपोर्ट को संसद में पेश करेंगी. संसद में पेश किए जाने के बाद इस रिपोर्ट को पब्लिक डोमेन में रखा जाएगा. रिपोर्ट में साल 2021-22 से 2025-26 यानि 5 वित्त वर्ष के लिए सिफारिशें की गई हैं. साल 2020-21 के लिए 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट दिसंबर 2019 को राष्ट्रपति को सौंपी जा चुकी है. इसे केंद्र सरकार की तरफ से एक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ संसद में पेश किया गया था.
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पंद्रहवें आयोग की यह रिपोर्ट 4 वॉल्यूम में की गई है तैयार
पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिश रिपोर्ट को चार वॉल्यूम में तैयार किया गया है. पहले और दूसरे वोल्यूम में पुरानी रिपोर्टों की तरह मुख्य रिपोर्ट और विवरणिका के बारे में जानकारी दी गई है. तीसरे वॉल्यूम में केंद्र सरकार और इसके विभागों के लिए मिडियम टर्म में आने वाली चुनौतियां व आगे के रोडमैप के बारे में सिफारिश की गई हैं. वहीं, चौथे वॉल्यूम में राज्यों के बारे में सिफारिशें और रोडमैप का जिक्र किया गया है. आयोग ने हर राज्य के वित्तीय हालात का विश्लेषण किया है. यही नहीं, अलग-अलग राज्यों की परिस्थितियों, समस्याओं और चुनौतियों के मुताबिक आयोग ने अपनी सिफारिशें तैयार की हैं.
आयोग की रिपोर्ट में इन विषयों पर की गई हैं सिफारिशें
चार वॉल्यूम में तैयार सिफारिश रिपोर्ट में विभिन्न विषयों और पहलुओं का विश्लेषण किया गया है. रिपोर्ट में वर्टिकल और हॉरिजोनटल टैक्स डिवोल्यूशन, स्थानीय सरकार अनुदान (LGG), आपदा प्रबंधन अनुदान (DMG) जैसे विषयों पर रोशनी डाली गई है. इसके अलावा पावर सेक्टर डायरेक्ट टू बेनिफिट (DBT) को अपनाने और सूखा कचरा प्रबंधन (SWM) जैसे क्षेत्रों में राज्यों को दिए जाने वाले परफॉर्मेंस इंसेटिव की समीक्षा की बात रिपोर्ट में की गई है. आयोग को रक्षा और आंतरिक सुरक्षा के वित्त पोषण के लिए एक अलग तंत्र बनाने की पड़ताल करने को भी कहा गया था. अगर ऐसा तंत्र बनाया जाता है तो इसका संचालन किस तरह किया जा सकता है. आयोग ने रिपोर्ट में इस मसले पर सभी टर्म ऑफ रिफ्रेंरस का जिक्र किया है.
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पंद्रहवे वित्त आयोग में ये सदस्य थे शामिल
संविधान के सेक्शन-280 के क्लॉज-1 के तहत राष्ट्रपति ने पंद्रहवें वित्त आयोग का गठन किया था. आयोग का अध्यक्ष एनके सिंह को बनाया गया था, जबकि इसके सदस्यों में शक्तिकांत दास, प्रो. अनूप सिंह, डॉ. अशोक लाहिडी और डॉ. रमेश चंद थे. वहीं, अरविंद मेहता को इसका सचिव बनाया गया था. बाद में शक्तिकांत दास के इस्तीफा दने से अजय नारायण झा को आयोग का सदस्य बनाया गया था.