
सनावद / समीपस्थ ग्राम आली खुर्द के खेतों में नहर का पानी घुसने से लगभग सौ एकड़ भूमि पर लगी कपास की फसल तबाह हो गई है। खेतों में पानी लबालब भरा है इस कारण पीड़ित किसानों में गहरा आक्रोश है। पीड़ित किसानों का दल शनिवार को प्रातः विधायक सचिन बिरला के डुडगांव स्थित आवास पर पहुंचा और खेतों में पानी भरने के कारण बर्बाद फसलों की समस्या बताई ।
बिरला ने तत्काल एनवीडीए और प्रशासनिक अधिकारियों को पीड़ित कृषकों के खेतों का दौरा कर समस्या के निदान के निर्देश दिए। बिरला ने पीड़ित किसानों को आश्वस्त किया कि उनकी समस्या के स्थायी निदान हेतु हरसंभव कदम उठाए जाएंगे।
पीड़ित कृषक अनोकचंद मुकाती और हुकुमचंद मुकाती ने बताया कि ओंकारेश्वर परियोजना की बाईं तट की नहर पर मोरटक्का खेड़ में सायफन बना है।मोरटक्का क्षेत्र के कुछ किसानों ने सायफन के आगे पाल डालकर पानी का प्रवाह रोक दिया।
फलस्वरूप पानी नहर में आकर ओवरफ्लो हो गया और किसानों के खेतों में भर गया। किसानों ने बताया कि यह समस्या वर्ष 2009 से बनी हुई है और हर साल आली खुर्द के खेतों में पानी भरता है और बेशकीमती फसल नष्ट हो जाती है।
किसानों ने अनेक बार अपनी समस्या एनवीडीए के अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों को बताई किंतु इस समस्या का हल नहीं निकल सका है। पीड़ित किसानों ने कहा कि उनके खेतों में खड़ी कपास की फसल नहर का पानी भरने के कारण नष्ट हो गई है।
सायफन की ऊंचाई बढ़ाने की मांग
नहर संथा के अध्यक्ष रेवाराम पटेल ने मौके पर पहुंचे प्रशासनिक और एनवीडीए के अधिकारियों को बताया कि मोरटक्का खेड़ पर निर्मित सायफन ही त्रुटिपूर्ण है और सायफन की ऊंचाई कम होने के कारण पानी नहर में घुस रहा है।
पटेल ने सुझाव दिया कि यदि सायफन की दीवारों की ऊंचाई बढ़ा दी जाए और सायफन के समीप मौजूद एक अन्य माइनर केनाल में पानी छोड़ा जाए तो आली खुर्द के खेतों में नहर का पानी ओवरफ्लो होकर नहीं भरेगा।उधर किसानों ने किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि मोरटक्का खेड़ के जो किसान सायफन के आगे पाल डालकर हर साल पानी रोक देते हैं ,उन किसानों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए।
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उल्लेखनीय है कि खेतों में भरने के कारण अनेक सीमांत किसानों के समक्ष जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है। इस दौरान पीड़ित किसान चेतराम फिफरखेड़िया,प्रेमलाल भटान्या, महेश मुकाती सहित बड़ी संख्या में किसान मौजूद थे।