स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने ‘एडॉप्ट-ए-फैमिली’ यानी एक परिवार को गोद लेने का प्रस्ताव दिया है। इसमें करदाताओं को बीपीएल परिवार को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिनकी आय कोरोना वायरस महामारी के चलते प्रभावित हुई है। इस प्रस्तावित योजना का लक्ष्य सात लाख से अधिक गरीब परिवारों को 60 हजार रुपए की वित्तीय सहायता मुहैया कराना है।
यह योजना स्वैच्छिक है और 10 लाख रुपए से अधिक आय वाले करदाताओं को 5,000 रुपए हर माह गरीब परिवार की सहायता के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस योजना को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार आदर्श रूप से करदाता के लिए 80C की सीमा से अधिक और कम से कम 50,000 टैक्स कटौती को प्रोत्साहित कर सकती है।
बैंक के अर्थशास्त्रियों ने एक नोट में कहा है, ‘जन भागीदारी की अवधारणा को सार्वजनिक वस्तुओं तक पहुंचाने के लिए हमने ‘एडॉप्ट-ए-फैमिली’ नाम की एक योजना प्रस्तावित की। इस योजना के तहत एक करदाता (शायद lakh 10 लाख या उससे अधिक की वार्षिक आय) को एक निर्दिष्ट राशि के साथ एक वर्ष के लिए एक बीपीएल परिवार को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है (जैसे कि 5,000 प्रति माह)।’ नोट में बताया गया कि ये योजना पूरी तरह स्वैच्छिक है।
बता दें कि भारत में करीब 70 लाख करदाता हैं जिनकी आय दस लाख रुपए से अधिक है। बैंक की प्रस्तावित योजना के तहत कोविड-19 से प्रभावित गरीब परिवारों को 60 हजार रुपए सलाना (पांच हजार रुपए प्रति माह) की वित्तीय सहायता मिलेगी। अर्थशास्त्रियों के सुझाव है कि अगर दस फीसदी लोग भी इस योजना से जुड़ते हैं तो 28 लाख लोगों को इस योजना से लाभ पहुंचेगा।
नोट में एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने सब्सिडी वाले एलपीजी सिलिंडर के ‘गिव अप’ अभियान का उदाहरण देते हुए जोर दिया कि ‘एडॉप्ट-ए-फैमिली’ स्कीम को अधिक से अधिक अपनाने के लिए प्रोत्साहन क्यों आवश्यक है।
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