नई दिल्ली
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की वर्चुअल ‘बिहार जन-संवाद’रैली को मिले भारी समर्थन से उत्साहित भाजपा के खून में उबाल है। पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी की 243 विधानसभा क्षेत्रों में आभासी रैली के लिए कमर कस ली है। पिछले पखवाड़े के दौरान किए गए पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षणों से पता चला है कि भाजपा को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।
हालांकि भाजपा ने पहले ही घोषित कर दिया है कि वह नवम्बर में जनता दल (यू) के प्रमुख नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी, लेकिन वह जूनियर पार्टनर की बजाय 50 प्रतिशत सीटों पर चुनाव लडऩा चाहती है।यह आश्चर्यजनक है कि भाजपा ने बिहार में ऐसे समय में अभियान शुरू किया है जब देश कोरोना युद्ध से जूझ रहा है।
7 जून को पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संबोधित किया और अब पी.एम. मोदी बड़े पैमाने पर एक रैली को संबोधित करेंगे। इसके बाद भाजपा प्रमुख जे.पी. नड्डा राज्य इकाई के नेताओं के परामर्श से ब्लॉक स्तर पर इस अभियान को आगे बढ़ाएंगे। सभी विधानसभा क्षेत्रों में 72,400 से अधिक मतदान केंद्रों पर तैयारी की गई है।
प्रधानमंत्री की रैली महत्वपूर्ण होगी क्योंकि बिहार प्रवासियों की बड़ी संख्या का सामना कर रहा है जो पूरे देश से अपने घरों में वापस आ गए हैं। वे नीतीश कुमार से नाराज हैं जिन्होंने उनकी वापसी का कड़ा विरोध किया था।
हालांकि अब नीतीश कुमार सरकार उनमें से हर एक को 1500 रुपए नकद अनुदान दे रही है लेकिन बी.जे.पी. के आंतरिक सर्वेक्षण में पाया गया है कि लोग उनसे नाराज हैं इसलिए मोदी का भाषण बिहार के चुनावी माहौल को बदल सकता है।
ऐसे कई लोग हैं जो कोरोना के डर के कारण बिहार आने से कतरा रहे हैं। भाजपा की योजना 50 लोगों को 72,400 मतदान बूथों के लिए लामबंद करने की है, जिन्हें 1099 मंडलों में विभाजित किया गया है। इस आभासी रैली को शानदार सफलता दिलाने के लिए भाजपा की तकनीकी टीमें दिन-रात काम कर रही हैं।
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