सांसद महोदय प्रधानमंत्री आवास योजना को मजाक बनाने वालो का विध्वंस करो

नाम राजा रख देने से राजा नहीं बनता कोई, नाम बड़े और दर्शन खोटे राजा तेरे कितने रूप

 

०-Dv. Live ब्यूरो नीलेश भानपुरिया झाबुआ

झाबुआ- आज हम अपनी खबर की शुरुआत सूफी नूरुद्दीन की चंद लाइनों से करेंगे.. कुत्ता जब बैलगाड़ी के नीचे छांव ढूंढता हुआ चलता है तो उसे लगता है कि बेल गाड़ी का बोझ वह खुद ढो रहा है।

कुछ ऐसा ही आलम मेघनगर में देखने को मिल रहा है कुछ सहज परिवार और माता पिता अपने बच्चों का नाम राम लखन लक्ष्मण वीर और राजा भी रखते हैं..इन नामों को रखने का उद्देश्य उन परिवारों का इतना भर रहता है कि इन नामों के अनुरूप उस व्यक्ति में उस तरह के संस्कार आ जाएं।लेकिन कुछ लोगों को अहम है इसलिए वे वहम में जी रहे हैं।

अब बात को बिना घूम आए फिर आए सीधा टॉपिक पर आते हैं नगर मैं प्रधानमंत्री आवास योजना के पिछले 15 महीनों से मुंह के बल गिरी पड़ी है इसके पीछे केंद्र या राज्य सरकार जिम्मेदार नहीं है

अगर कोई जिम्मेदार है तो वह है भ्रष्ट अधिकारी जिनकी छुट्टी भी हो चुकी है लेकिन कुछ अभी भी अपनी डफली अपना राग अलापने में लगे हुए हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लेने के लिए लगभग 1500 से अधिक हितग्राहियों ने आवेदन दिए थे। जिसमें मात्र 947 आवेदन को वेरीफाई होने के लिए नगर के साहब के पास भेज दिया गया। साहब का परिवार ने नाम एक फूल की खुशबू के समान रखा..लेकिन भ्रष्टाचार के नाम पर फैलाई बदबू

जैसा काम अपने अधीनस्थ दुमछल्ले राजा लापरवाही व गोटी सिटी फील करने के चक्कर में नगर की भोली भाली प्रजा को 7 माह से धोखा दिया। प्रधानमंत्री आवास योजना के आवेदकों की फाइल लंबे समय तक वेरीफाई करने के नाम पर 7 माह से भी आधिक समय से साहब ने आखिर क्यों दबा रखी है।दबा रखी। जिसका पूरा चिट्ठा अब भाजपा के जनप्रतिनिधि और सांसद महोदय खोलेंगे।

*राजा तेरे कितने रूप, नाम राजा काम भिखारी से भी खराब

कभी वह पीली बत्ती में बैठ कर खुद को साहब समझ बैठता है तो कभी कभी कोविड-19 के पास बनाने के नाम पर फर्जी रकम वसूलता है। तो कभी फोटो वीडियो बनाकर कलमकार बनने का प्रयास करता है और अपने साहब कि झूठे खबरों को प्रकाशित करके रोब झाड़ता है इतना ही नहीं प्रधानमंत्री आवास योजना में भी फॉर्म जमा करने वाले हितग्राहियों का कितना शोषण किया है

यह गरीब अब दबी छुपी जुबान में बताने लगे हैं। माना कि आप एक सरकारी प्यादे हैं लेकिन अन्य भी कर्मचारी पूर्ण इमानदारी और विश्वास के साथ अपने कर्तव्य को निभा रहे हैं। राजा नाम को मिट्टी में नहीं मिलाते हुए किसी के आगे धूम हिलाना या चापलूसी गिरी नहीं कर रहे हैं। राजा ने अपना नाम राजा समझकर यह मुगाल्दे पाल लिए कि वह वास्तव में राजा है..राजा अपने आप को नाहक कर्ताधर्ता समझ रहा हैं।

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काल जब राजा को उसका असली चेहरा लात मारकर दिखाएगा तो की सत्यता को जान पाएगा वास्तव में संसार में निस्पर्ह बनकर रहना चाहिए।प्रारब्ध स्वयं सब करता है। इसलिए किसी ने सही कहा है समय निकल जाएगा बात याद रह जाएगी। नाम राजा हो तो कर्म भी राजा जैसे रखो। नहीं तो प्रजा आपका वह हाल करेगी की खुद को नहीं पहचान पाओगे।

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