अब आईआरसीटीसी ने कैटरिंग सुपरवाइजों को नौकरी से निकाला

 

नई दिल्ली। कोरोना काल में एक तरफ जहां केंद्र और राज्य सरकारें निजी कंपनियों को किसी भी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकालने की नसीहत व चेतावनी दे रही हैं, वहीं दूसरी तरफ भारत सरकार की मिनी रत्न कंपनी आईआरसीटीसी ने अपने अनुबंधकर्मियों को निकालने का फरमान जारी कर दिया है।

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आईआरसीटीसी ने कैटरिंग सुपरवाइजरों को एक महीने का नोटिस देकर बाहर का रास्ता दिखा दिया है। कोरोना के भय के बीच सभी कैटरिंग सुपरवाइजर पूरे लग्न से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में यात्रियों को खाना खिलाने में व्यस्त थे, इसी बीच कॉरपोरेशन का नोटिस उन्हें थमा दिया गया। नवंबर 2019 में देश में 500 से अधिक कैटरिंग सुपरवाइजर (हॉस्पीटेलिटी) को दो साल के लिए अनुबंध पर बहाल किया गया था।

इनमें ईस्ट जोन के लिए 90 पर्यवेक्षकों को बहाल कर उन्हें ट्रेनिंग दी गई थी। करीब 12 सुपरवाइजर धनबाद मंडल के अलग-अलग स्टेशनों पर तैनात हैं।अनुबंध का कार्यकाल भले ही दो साल रखा गया था, लेकिन छह माह के अंदर ही उन्हें नौकरी से हटाने का आदेश जारी कर दिया गया।

 

एकाएक आए कॉरपोरेशन के इस आदेश से सुपरवाइजरों के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई है। आईआरसीटीसी के ग्रुप जनरल मैनेजर से लेकर प्रधानमंत्री और रेल मंत्री तक को चिट्ठी लिख कर सुपरवाइजरों ने फैसले को अन्यायपूर्ण बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है।

 

होटल ताज की नौकरी छोड़ बने थे सुपरवाइजर
आईआरसीटीसी ने साइंस से डिग्री और होटल मैनेजमेंट की डिग्री रखने वालों के लिए 2019 के जुलाई माह में कैटरिंग सुपरवाइज (हॉस्पीटेलिटी) की वैकेंसी निकाली थी। रेलवे और आईआरसीटीसी का नाम सुनकर कई अभ्यर्थियों ने देश के बड़े-बड़े होटलों की नौकरियां छोड़ कर कैटरिंग सुपरवाइजर बनने की इच्छा जताई।

 

धनबाद में पदस्थापित दो सुपरवाइजरों ने होटल ताज की नौकरी ठुकरा कर मिनी रत्न कंपनी पर आस्था जताई थी। नौकरी संतोषजनक होने पर कार्यकाल बढ़ाने का भी भरोसा दिया गया था। अनुबंध बढ़ाना तो दूर यहां एक साल भी नौकरी सुरक्षित नहीं रह सकी।

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पेंट्रीकार की गुणवत्ता की कौन करेगा जांच
आईआरसीटीसी ने एक झटके में सुपरवाइजरों को निकालने का तो फैसला कर दिया लेकिन ट्रेनों में पेंट्रीकार की गुणवत्ता बरकरार रखनेवाले सुपरवाइजरों का काम अब कौन करेगा, इस पर अपनी रणनीति का कोई खुलासा नहीं किया। ये सुपरवाइजर ट्रेनों के साथ-साथ प्लेटफार्मों पर स्थित स्टॉल पर भी नियंत्रण रखते थे। एक झटके में नौकरी हाथ से जाने से सभी बेरोजगार हो जाएंगे।

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