
नवरात्रि पर्व के बीच घटी मांग के बाद भी प्याज की कीमत लगातार बढ़ती जा रही हैं. घरेलू मांग को पूरा करने और कीमतों पर अंकुश के लिए खास योजना बनाई गई है. .
नवरात्रि (Navratri Festival) के दौरान मांग में कमी के बाद भी प्याज की कीमतें लगातार बढ़ती (Onion Price Rise) जा रही हैं. इस पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने प्याज आयात के नियमों (Import Rules) में ढील दे दी है. इसके अलावा बफर स्टॉक (Buffer Stock) से ज्यादा प्याज की बाजार में सप्लाई का भी फैसला किया है.
नई दिल्ली. नवरात्रि (Navratri) के दौरान मांग में कमी के बाद भी प्याज की कीमतें लगातार बढ़ (Onion Price Rise) रही हैं. इस समय महाराष्ट्र की येवला मंडी में प्याज का थोक भाव 7,360 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच गया है. अनुमान लगाया जा रहा है कि नवरात्रि के बाद प्याज की कीमतों में तेज उछाल आएगा और ये 120 रुपये प्रति किग्रा के भाव तक पहुंच जाएगा. ऐसे में केंद्र सरकार (Central Government) ने प्याज की कीमतों पर अंकुश के लिए खास प्लान बनाया है, जिससे भाव में उछाल पर रोक के साथ ही घरेलू मांग (Domestic Demand) को भी आसानी से पूरा किया जा सकेगा.
केंद्र ने प्याज आयात के नियमों में दे दी है ढील
केंद्र सरकार ने त्योहारी सीजन (Festive Season) में घरेलू मांग को पूरा करने और बढ़ती कीमतों पर ब्रेक लगाने के लिए प्याज आयात के नियमों (Import Rules) में ढील दे दी है. इसके अलावा बफर स्टॉक (Buffer Stock) से ज्यादा प्याज की बाजार में आपूर्ति (Onion Supply) का फैसला भी किया है. बता दें कि चेन्नई में प्याज की खुदरा कीमतें 73 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी हैं. वहीं, दिल्ली में प्याज 50-60 रुपये प्रति किग्रा, कोलकाता में 65-75 रुपये और मुंबई में 75 रुपये प्रति किग्रा से ज्यादा भाव पर बिक रहा है.
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इस वजह से तेजी से बढ़ रहींं प्याज की कीमतें
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात और राजस्थान प्याज के बड़े उत्पादक हैं. इनमें आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और बिहार ने इस साल बाढ़ (Flood) झेली है. वहीं मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और यूपी के कई हिस्सों में भारी बारिश (Heavy Rain) ने तबाही मचाई है. इससे प्याज उत्पादकों को भारी नुकसान हुआ है. ऐसे में प्याज का उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. हालांकि, सरकार ने जून 2020 में अनुमान लगाया था कि इस साल प्याज के उत्पादन में 17.17 फीसदी इजाफा हो सकता है.और ये 268.56 लाख टन रह सकता है, लेकिन बाढ़-ज्यादा बारिश के कारण ये अनुमान धुलते हुए नजर आ रहे हैं.
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जमाखोरी ने बढ़ा दी है आम लोगों की परेशानी
मौसम की मार को देखते हुए व्यापारियों ने प्याज की जमाखोरी (Hoarding) शुरू कर दी. एसेंशियल कमोडिटी एक्ट में संशोधन के बाद जमाखोरी लाइसेंसी हो गई है. पिछले साल 29 सितंबर को थोक विक्रेताओं को 50 मिट्रिक टन और खुदरा के लिए 10 मिट्रिक टन भंडारण का स्टॉक तय था. अब उन्हें चाहे जितना प्याज रखने का कानूनी अधिकार मिल गया है. दरअसल, केंद्र सरकार ने प्याज को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया है. ऐसे में अब प्याज वाला रैकेट खुश है, लेकिन किसान (Farmer) और जनता (Public) परेशान है.
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