MPPSC की मुख्य परीक्षा पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, ये निर्देश दिए

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की राज्य सेवा मुख्य परीक्षा 2025 पर जबलपुर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अंतरिम रोक लगा दी है। हाईकोर्ट में MPPSC के द्वारा जारी किए गए प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम को चुनौती दी गई है, जिसके बाद कोर्ट ने अगले आदेश तक मुख्य परीक्षा को रोकने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने आयोग को 15 अप्रैल 2025 तक वर्गवार कट-ऑफ अंक जारी करने और यह स्पष्ट करने के निर्देश दिए कि अनारक्षित श्रेणी में कितने आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को शामिल किया गया है। मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी।

MPPSC के प्रीलिम्स रिजल्ट में कट-ऑफ अंक जारी न करने पर विवाद

लोक सेवा आयोग ने 5 मार्च 2025 को राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम घोषित किया, लेकिन इसमें वर्गवार कट-ऑफ अंक जारी नहीं किए गए। इसके बाद विवाद खड़ा हो गया। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि आयोग ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पूर्व के आदेशों की अवहेलना करते हुए अनारक्षित पदों को केवल सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया। इसके चलते आरक्षित वर्ग के योग्य अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में शामिल नहीं किया गया।

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हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं का दावा: ‘पारदर्शिता से बचने की कोशिश’

भोपाल निवासी सुनीत यादव, नरसिंहपुर निवासी पंकज जाटव और बैतूल निवासी रोहित कावड़े, जो क्रमशः ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग से आते हैं, उन्होंने ठाकुर लॉ एसोसिएट्स के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका (WP 11444/2025) दायर की। उनका तर्क है कि MPPSC ने जानबूझकर वर्गवार कट-ऑफ अंक जारी नहीं किए ताकि भर्ती प्रक्रिया में हुई त्रुटियां सामने न आ सकें। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि अनारक्षित वर्ग की सीटों पर केवल सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को स्थान दिया गया, जबकि आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली उम्मीदवारों को मेरिट के आधार पर चयन का लाभ नहीं दिया गया।

कोर्ट की गंभीर टिप्पणी: ‘रिजल्ट घोषित करने में गड़बड़ी’

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह और आर.जी. वर्मा ने कोर्ट को यह जानकारी दी कि इससे पहले दायर याचिका (WP 9253/2025) में हाईकोर्ट ने आयोग को बिना अनुमति परिणाम जारी न करने का निर्देश दिया था। हालांकि सरकारी अधिवक्ता ने सही जानकारी न देते हुए कोर्ट को भ्रमित किया और आयोग ने 5 मार्च को परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया।

25 मार्च को हुई सुनवाई में सरकारी वकील और MPPSC के अधिवक्ता ने कोर्ट को सूचित किया कि परिणाम अभी जारी नहीं किया गया है, जबकि वास्तव में रिजल्ट पहले ही प्रकाशित हो चुका था। इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए आदेश संशोधित करने की जरूरत बताई। इसके अलावा जब कोर्ट ने MPPSC की मुख्य परीक्षा के शेड्यूल पर जानकारी मांगी तो आयोग के अधिवक्ता स्पष्ट जवाब देने में असमर्थ रहे।

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कम्युनल रिजर्वेशन का आरोप

याचिका में कहा गया कि अनारक्षित पदों पर चयन केवल मेरिट के आधार पर होना चाहिए, लेकिन MPPSC ने इसे दरकिनार कर ‘रिवर्स रिजर्वेशन’ लागू कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के अनुसार, अनारक्षित सीटों को सभी वर्गों के योग्य अभ्यर्थियों के लिए खुला रखना चाहिए, लेकिन MPPSC ने इस नियम का पालन नहीं किया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आयोग ने आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली छात्रों को उनके अधिकार से वंचित किया है।

कोर्ट ने 15 अप्रैल तक डेटा प्रस्तुत करने के निर्देश दिए

हाईकोर्ट ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए MPPSC की राज्य सेवा मुख्य परीक्षा 2025 पर रोक लगा दी और लोक सेवा आयोग को 15 अप्रैल 2025 तक वर्गवार कट-ऑफ अंक जारी करने तथा यह स्पष्ट करने के निर्देश दिए कि अनारक्षित श्रेणी में कितने आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों को शामिल किया गया।

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अगली सुनवाई 15 अप्रैल को

इस मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल 2025 को होगी। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, आर.जी. वर्मा, पुष्पेंद्र शाह, शिवांशु कोल और अखलेश प्रजापति ने पैरवी की। यह मामला प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं की पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है और हाईकोर्ट के आगामी फैसले का सभी अभ्यर्थी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।