आबकारी विभाग के आदेश से मचा हड़कंप, सरकार को 1200 करोड़ का नुकसान

मध्य प्रदेश में इस समय शराब दुकानों की नीलामी प्रक्रिया जारी है, जिसमें लगभग 90% दुकानों की नीलामी पूरी हो चुकी है। 29 जिलों में सभी शराब दुकानें नीलाम हो गई हैं, जबकि आठ जिलों में सिंगल ठेकेदार समूह को ठेके मिले हैं। राजधानी भोपाल में भी केवल चार ठेकेदारों को सभी दुकानें दी गई हैं। पूरी प्रक्रिया 31 मार्च तक पूरी होनी है। लेकिन इस नीलामी प्रक्रिया के बीच आबकारी विभाग के एक आदेश ने पूरे प्रशासन को झकझोर दिया है।

विवादित आदेश और उससे हुआ नुकसान

26 मार्च की आधी रात को आबकारी विभाग ने अचानक आदेश जारी किया कि 26 मार्च के बाद केवल उन्हीं शराब दुकानों को सप्लाई दी जाएगी, जिनके ठेके रिन्यू हो चुके हैं। जिन ठेकों का नवीनीकरण नहीं हुआ, उन्हें शराब की आपूर्ति नहीं की जाएगी। इस आदेश के चलते 27 से 31 मार्च 2025 के बीच लगभग 1000 करोड़ की शराब नहीं उठाई जा सकी। सरकार को इस फैसले से सीधा 200 करोड़ का नुकसान हुआ, जिसमें वैट टैक्स, परिवहन कर और अन्य शुल्क शामिल हैं। कुल मिलाकर इस आदेश से सरकार को 1200 करोड़ रुपये की चपत लग गई।

इसे भी पढ़ें- पत्नी के चार बॉयफ्रेंड, हत्या की धमकी, युवक ने सीएम मोहन यादव से लगाई गुहार

मुख्य सचिव से मुलाकात में हुआ खुलासा

जब ठेकेदारों ने भोपाल में मुख्य सचिव (सीएस) से मुलाकात की तो इस आदेश का खुलासा हुआ। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि इस आदेश की जानकारी न आबकारी मंत्री को थी और न ही विभाग के प्रमुख सचिव (पीएस) को। सूत्रों के अनुसार, वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने भी इस आदेश को लेकर नाराजगी जताई है। इस पूरी घटना से सरकार में हड़कंप मच गया और प्रशासनिक स्तर पर जवाबदेही को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

क्या कहता है आबकारी विभाग का आदेश?

आबकारी विभाग के कमिश्नर द्वारा जारी आदेश में कहा गया था कि ई-आबकारी पोर्टल पर शराब की मांग (डिमांड) दर्ज करने की अंतिम तिथि 27 मार्च रात 11:30 बजे तक और आपूर्ति की अंतिम तिथि 29 मार्च तक बढ़ाई गई थी। लेकिन इस आदेश को संशोधित कर दिया गया, जिससे केवल उन्हीं दुकानों को यह सुविधा मिली, जिन्होंने अगले वर्ष के लिए लाइसेंस का नवीनीकरण करवा लिया था।

आदेश क्यों निकाला गया और किसे हुआ फायदा?

इस आदेश से उन ठेकेदारों को सीधा नुकसान हुआ, जिनका ठेका 31 मार्च तक था, लेकिन उन्होंने रिन्युअल नहीं करवाया था। इससे बाजार में शराब का स्टॉक नहीं बिक पाया और ठेकेदारों को भारी घाटा हुआ। आमतौर पर ठेकेदार बचा हुआ स्टॉक कम कीमत में किसी अन्य ठेकेदार को या दूसरे जिले में बेच देते हैं, जिससे उन्हें नुकसान नहीं होता। लेकिन इस आदेश के कारण न केवल शराब की बिक्री बाधित हुई, बल्कि सरकार को भी बड़ा नुकसान झेलना पड़ा।

इसे भी पढ़ें- लॉन्च हुआ दमदार परफॉर्मेंस वाला इलेक्ट्रिक स्कूटर, मिलेगा 140KM का सफर, कीमत 1.13 लाख, फीचर्स भी गजब

क्या यह आदेश अवैध था? एक्सपर्ट्स की राय

आबकारी विभाग के पूर्व अधिकारी इस आदेश को पूरी तरह अवैधानिक मानते हैं। उनका कहना है कि जब ठेकों की अवधि 1 अप्रैल से 31 मार्च तक निर्धारित है, तो 5 दिन पहले सप्लाई रोकना नियमों के खिलाफ है। अगर कोई ठेका किसी अनियमितता के कारण रद्द किया जाता है, तब ही सप्लाई रोकी जा सकती है। लेकिन नवीनीकरण न होने के आधार पर सप्लाई रोकना न केवल नियमों के खिलाफ है, बल्कि यह सरकार को नुकसान पहुंचाने वाला फैसला भी साबित हुआ।