भारत में सड़क सुरक्षा को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं और इसी कड़ी में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक अहम घोषणा की है। उन्होंने कहा कि अब से देश में दोपहिया वाहन निर्माताओं के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे हर नई बाइक या स्कूटी के साथ दो हेलमेट दें। यह हेलमेट आईएसआई प्रमाणित होंगे, जिससे उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। यह घोषणा दिल्ली में आयोजित एक ऑटो समिट के दौरान की गई, जहां देशभर के ऑटोमोबाइल उद्योग से जुड़े दिग्गज मौजूद थे।
हेलमेट निर्माता संघ ने फैसले का किया स्वागत
इस फैसले पर टू-व्हीलर हेलमेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (THMA) ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव कपूर ने कहा कि यह केवल एक सरकारी आदेश नहीं, बल्कि देश की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हर साल हजारों परिवार अपने प्रियजनों को सड़क दुर्घटनाओं में खो देते हैं और यह फैसला उन परिवारों के लिए उम्मीद की किरण है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि हेलमेट निर्माता उच्च गुणवत्ता वाले आईएसआई प्रमाणित हेलमेट के उत्पादन को बढ़ाएंगे और देशभर में इनकी आपूर्ति सुनिश्चित करेंगे।
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क्यों लिया गया यह फैसला?
भारत में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बहुत अधिक है। रिपोर्टों के अनुसार, हर साल देश में करीब 4.80 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें 1.88 लाख लोगों की जान चली जाती है। खासकर, दोपहिया वाहन चालकों के लिए यह आंकड़ा बहुत भयावह है। हर साल लगभग 69,000 दोपहिया वाहन चालकों की सड़क हादसों में मौत हो जाती है, जिनमें से 50 प्रतिशत मौतें हेलमेट न पहनने के कारण होती हैं। इन आंकड़ों को देखते हुए सरकार ने यह अनिवार्य करने का निर्णय लिया है कि हर नई बाइक या स्कूटी के साथ दो हेलमेट दिए जाएं, ताकि लोग हेलमेट पहनने को आदत में शामिल करें और सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके।
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हेलमेट पहनने के फायदे क्या हैं?
सड़क पर दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट पहनना जीवन रक्षा के लिए बेहद जरूरी है। बिना हेलमेट के चलने पर दुर्घटना के दौरान सिर में गंभीर चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे मौत होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। हेलमेट पहनने से सिर को सुरक्षा मिलती है, जिससे हेड इंजरी की आशंका कम हो जाती है। इसके अलावा हेलमेट सर्वाइकल स्पाइन इंजरी से भी बचाता है। हेलमेट पहनने से आंखों को तेज हवा, धूल और कीड़े-मकोड़ों से भी सुरक्षा मिलती है, जिससे वाहन चालक का ध्यान भटकने की संभावना कम होती है। यही वजह है कि सरकार अब इसे और सख्ती से लागू करना चाहती है।