
ममता सरकार बीजेपी के खिलाफ आक्रामक प्रचार अभियान शुरू करने वाली है. (फाइल फोटो)
ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने बीजेपी का जवाब देने की तैयारी कर ली है. बनर्जी ने 22 नवंबर से एक के बाद एक 600 रैलियां करने की योजना बनाई है. ये रैलियां ‘Save Bengal from the BJP’ के नारे के साथ की जाएंगी.
कोलकाता. पश्चिम बंगाल (West Bengal) में आगामी 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं. राज्य में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की अगुवाई वाली तृणमूल सरकार का शासन है जिसके खिलाफ केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी (BJP) लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही है. बीते सालों में बीजेपी राज्य सरकार पर राजनीतिक हत्याओं का आरोप लगाती रही है. अगले साल चुनावों के मद्देनजर बीजेपी ने राजनीतिक गतिविधियां तेज कर दी हैं.
हाल में गृह मंत्री अमित शाह ने भी राज्य का दौरा किया था. अब ममता बनर्जी ने बीजेपी का जवाब देने की तैयारी कर ली है. बनर्जी ने 22 नवंबर से एक के बाद एक 600 रैलियां करने की योजना बनाई है. ये रैलियां ‘Save Bengal from the BJP’ के नारे के साथ की जाएंगी.
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आयोजित होंगे विभिन्न कार्यक्रम, कई भाषाओं में होगा पार्टी का प्रचार
ये रैलियां राज्य की 294 विधानसभा सीटों को कवर करेंगी. इस दौरान तृणमूल के समर्थन में पर्चे बांटे जाएंगे, आम लोगों से मुलाकात के कार्यक्रम होंगे और कम्यूनिटी रेडियो के जरिए प्रचार अभियान चलाया जाएगा. रेडियो के जरिए पार्टी विज्ञापन नेपाली, संथाली, तेलुगु, बांग्ला, इंग्लिश, हिंदी जैसी कई भाषाओं में होंगे. पार्टी का लक्ष्य समाज के हर वर्ग का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने का है.
जंगलमहल के इलाके से शुरू होगा प्रचार अभियान
पार्टी अपने प्रचार अभियान की शुरुआत पश्चिमी मिदनापुर, पुरुलिया, झारग्राम और बांकुरा के इलाकों से करेगी. ये जिले जंगलमहल बेल्ट का हिस्सा हैं. इस इलाके में बहुतायत आबादी आदिवासी और अनुसूचित जातियों की है. पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जातियों की आबादी तकरीब 23.51 प्रतिशत है और आदिवासियों की संख्या तकरीबन 6 प्रतिशत. इतने बड़े वोटबैंक को टारगेट करने के लिए ही तृणमूल ने प्रचार अभियान की शुरुआत यहीं से करना तय किया है.
क्या बोले पार्टी विधायक
एक पार्टी विधायक के मुताबिक-हम कम्यूनिटी रेडियो पर बड़ा फोकस रखेंगे और लोगों को बताएंगे कि बीजेपी बंगाल के लिए सही विकल्प नहीं है. हमारे देश के अन्य हिस्सों की तरह पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में डिजिटल गैप बड़ी मुश्किल है. इंटरनेट की सुविधा अभी गांवों तक पूरी तरह नहीं पहुंच पाई है. इसी वजह से हमने कम्यूनिटी रेडियो का सहारा लेने की सोची है. इसी के जरिए हम राज्य सरकार के सभी प्रयासों और योजनाओं को जनता तक पहुंचाएंगे.
(सुजीत नाथ की स्टोरी से इनपुट्स के साथ.)
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