महादेव एप सट्टेबाजी घोटाले में सीबीआई ने एक बड़ा कदम उठाते हुए देशभर में 60 ठिकानों पर छापेमारी की है। यह घोटाला ऑनलाइन सट्टेबाजी से जुड़ा हुआ है, जिसमें कई बड़े नेता, पुलिस अधिकारी और नौकरशाहों की संलिप्तता सामने आई है। सीबीआई अब इस मामले की बारीकी से जांच कर रही है और वरिष्ठ सार्वजनिक अधिकारियों की भूमिका की गहन छानबीन कर रही है।
छत्तीसगढ़, भोपाल, दिल्ली और कोलकाता में दबिश, मिले महत्वपूर्ण दस्तावेज
सीबीआई ने इस घोटाले से जुड़े आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी की, जिसमें छत्तीसगढ़, भोपाल, दिल्ली और कोलकाता जैसे प्रमुख शहर शामिल रहे। अधिकारियों को इस कार्रवाई के दौरान कई महत्वपूर्ण डिजिटल और दस्तावेजी साक्ष्य हाथ लगे हैं। महादेव बुक के प्रमुख कार्यकर्ताओं और अन्य संदिग्धों के घरों से भी अहम जानकारी जुटाई गई है, जिससे इस घोटाले के और भी बड़े नामों के उजागर होने की संभावना बढ़ गई है।
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पहले ईओडब्ल्यू ने की थी जांच, अब सीबीआई के हाथ में मामला
इस मामले की शुरुआत छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा की गई थी। प्रारंभिक जांच के बाद मामला सीबीआई को सौंप दिया गया, जो अब इस पर तेजी से काम कर रही है। अधिकारियों का मानना है कि इस घोटाले के पीछे कई बड़े नाम हो सकते हैं, जिनका खुलासा जल्द किया जा सकता है।
2019 में भी हुई थी छापेमारी, करोड़ों की संपत्ति जब्त
महादेव एप मामले में सबसे पहले साल 2019 में गिरीश तलरेजा का नाम सामने आया था। पुलिस ने तब उसके सहयोगी दिलीप मंगतानी के घर पर छापा मारा था, जिसमें एक करोड़ 21 लाख रुपये नकद और करोड़ों की बेनामी संपत्ति के दस्तावेज बरामद हुए थे। हाल ही में भी पुलिस ने एक साथ सात ठिकानों पर छापेमारी कर खुलासा किया कि विदेश में बैठकर गिरीश तलरेजा पूरे गिरोह को संचालित कर रहा था।
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2024 में ED ने की थी कार्रवाई, 580 करोड़ की संपत्ति फ्रीज
साल 2024 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने महादेव सट्टा एप घोटाले में छापेमारी की थी। रायपुर, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, इंदौर और गुरुग्राम सहित कुल 15 ठिकानों पर ED ने दबिश दी थी। अब तक 580 करोड़ रुपये की संपत्ति फ्रीज की जा चुकी है, जबकि 1296 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का खुलासा हो चुका है। इस दौरान महादेव एप के मुख्य ऑपरेटर गिरीश तलरेजा को भोपाल से गिरफ्तार किया गया था।
सूरज चोखानी की कोलकाता से गिरफ्तारी
इस मामले में सूरज चोखानी को भी कोलकाता से गिरफ्तार किया गया था। उस पर आरोप है कि उसने महादेव ऐप से अर्जित धन को शेयर मार्केट में निवेश किया था। वहीं, गिरीश तलरेजा पर सट्टेबाजी से मिली रकम को ऐप के प्रमोटर शुभम सोनी के साथ मिलकर कई बैंक खातों के माध्यम से घुमाने का आरोप है।
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महादेव एप का अवैध संचालन और सरकारी अधिकारियों से मिलीभगत
महादेव एप को रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर संचालित कर रहे थे। यह एक अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म था, जो सट्टेबाजी को सुचारू रूप से चलाने के लिए कई सरकारी अधिकारियों को ‘सुरक्षा धन’ के रूप में मोटी रकम देता था। सीबीआई की जांच में सामने आया है कि इस नेटवर्क को निर्बाध रूप से चलाने के लिए प्रमोटरों ने सरकारी अधिकारियों से संपर्क किया और उन्हें रिश्वत दी।