मांधाता विधान सभा उपचुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों पर स्थानीय मुद्दे भारी

*नारायण के लिए मुसीबतों का भंडार शिव ही लगाएंगे नैया पार

*मांधाता उपचुनाव में विरोध के स्वर बुलंद, असंतुष्ट को एकजुट करना बीजेपी के लिए कठिन डगर

*नेता जी यह पब्लिक है यह सब जानती है

०- चुनावी समीक्षा मनीष गुप्ता खण्डवा

खंडवा 27 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव पर शिवराज सरकार का भविष्य टिका हुआ है। कांग्रेस के साथ भाजपा भी उपचुनाव की नैया पार  करने के लिए चुनावी मुद्दे तलाश रही है। सरकार में होने के कारण भाजपा के पास कांग्रेस पर हमला बोलने के विकल्प कम हैं। कांग्रेस के पास भाजपा पर हमला बोलने के कई रास्ते खुले हैं।

 

बात करें हम निमाड़ क्षेत्र की 2 सीटों पर जहां पर दो उपचुनाव होने हैं बुरहानपुर जिले की नेपानगर सीट जिस पर बीजेपी कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में आई सुमित्रा कास्डेकर  , मांधाता से कांग्रेस के विधायक रहे नारायण पटेल  जोकि कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में आ जाए उनको भी बीजेपी ने मांधाता से उम्मीदवार बनाया है लेकिन दोनों ही उम्मीदवारों के लिए बड़े संकट की घड़ी देखने को मिल रही है क्योंकि दोनों ही उम्मीदवारों का खुलकर भी विरोध हो रहा है और  राजनीति पर्दे के पीछे भी विरोध हो रहा है नेपानगर में कई गांव और नगर के वार्डो में चुनाव बहिष्कार  तक का फैसला किया है।

 

नेपानगर में  कागज की एशिया की सबसे बड़ी मील है  जहां पर लाखो हजारों युवा काम करते हैं  लेकिन  अभी बंद होने की कगार पर है  क्षेत्र के युवा रोजगार के लिए भटक रहे हैं  धूलकोट असीरगढ़  नेपानगर देड़तलाई इन आदिवासी क्षेत्रों में आज भी  आदिवासी अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए  भटक रहे हैं बेरोजगारी इतनी है कि पड़ोसी राज्य  महाराष्ट्र में जाकर कार्य करना पड़ता है लेकिन कोविड-19 के चलते  उनका व्यापार व्यवसाय  नौकरी  सब बंद हो गई है बात करें हम  मांधाता से बीजेपी के कई उम्मीदवार थे जिन्होंने आस लगा के रखी थी कि उन्हें पार्टी  फिर से मौका देंगी एक लंबी कतार थी।

 

सामान्य सीट होने के कारण लेकिन उन्हें जब निराशा लगी जब भारतीय जनता पार्टी के संगठन ने नारायण पटेल को मांधाता से तिलक लगा दिया इसी तरह टिकट मांगने वाले उम्मीदवारों पर पानी फेर दिया नेपानगर जो कि आदिवासी सीट है उस पर   सुमित्रा कास्डेकर   को टिकट देकर भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार बनाया है लेकिन यह दोनों सीट पर विरोध के स्वर बढ़ते जा रहे हैं देखना होगा कि शिवराज सिंह चौहान के नेपानगर नगर और मांधाता आगमन पर किस प्रकार घोषणाओं का पिटारा खुलता है
और जनता किस प्रकार  भारतीय जनता पार्टी को विजय बनाती है।मांधाता उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी नारायण पटेल के लिए मुसीबत खड़ी होती जा रही है क्षेत्र में विकास ना होने के कारण विधायक नारायण पटेल कांग्रेस पार्टी को छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था बीजेपी ने उन्हें मांधाता से उम्मीदवार बनाया है।
उपचुनाव में उपचुनाव की तैयारी में जुटे नारायण पटेल के लिए क्षेत्र का विकास ही अब मुसीबत बनता जा रहा है जनता ही सवाल खड़े कर रही है नर्मदा  नदी  पर बने दो डैम  जिसके कारण कई गांव प्रभावित हुए बैक वाटर के कारण जलभराव कई गांव में रोड की व्यवस्था नहीं, पेयजल की किल्लत और गंदगी की समस्या है
तीर्थ नगरी ओमकारेश्वर मैं आज भी मूलभूत सुविधाएं नहीं है किल्लौद ब्लॉक में किसानों की सबसे बड़ी समस्या खेतों में पानी की है जहां गर्मी में खेत बंजर हो जाते हैं सिंगाजी थर्मल पावर में आज भी स्थानीय युवकों को रोजगार नहीं मिला मुंदी नगरपंचायत अभी तक तहसील का दर्जा नहीं मिल पाया स्थानी मछुआरों को दोनों ही इंदिरा सागर डैम  ओमकारेश्वर डैम  में मछली मारने का अधिकार नहीं मिल पाया।किसानों के लिए कर्ज माफी का ऐलान भी इस चुनावी कैम्पेन का अहम हिस्सा है जो अभी तक पूरा नहीं हो पाया
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विधानसभा उप चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की सरगर्मियां तेज होने लगी हैं। नेताओं ने स्थानीय मुद्दों को उठाना भी शुरू कर दिया है। राज्य में बीजेपी सरकार है और  कांग्रेस अपनी ही सीट मांधाता को जीतने के लिए अभी उम्मीदवार ढूंढने में ही लगी है लेकिन कांग्रेस के लिए एक बड़ा लाभ है कि कांग्रेस पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि कर सरकार पर हमला बोल रही है।
इसी तरह बिजली के बिलों का मामला सीधे पब्लिक से जुड़ा है। कोरोना संक्रमण काल में निम्न व मध्यवर्गीय परिवार एक साथ तीन महीने का बिल भरने की स्थिति में नहीं है। बिजली के बिलों का मुद्दा सीधे जनता से जुड़ा होने के कारण कांग्रेस उठा रही है। वही कांग्रेस मांधाता और नेपानगर में बेरोजगारी किसानों की समस्या स्थानी समस्याएं पेयजल, सिंचाई, सीवर, सड़क व बिजली प्रमुख समस्या है।जो इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए बड़ी मुसीबत ना बन जाए देखना होगा लेकिन नेताजी यह पब्लिक है यह सब जानती है
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कांग्रेस का हाथ किसके साथ अभी तक ऐलान नहीं
जिले की मान्धाता सीट से अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि कांग्रेस का हाथ किसके साथ है । कांग्रेस को गुडबाय कर भाजपा का परचम लहराने के लिए मैदान में उतरे नारायण पटेल के सामने कांग्रेस अभी तक उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है । इसके लेकर कांग्रेसियों में भारी बेचैनी साफ दिखाई दे रही है ।
मान्धाता विधानसभा सीट से विधायकी का लड्डू यू तो आधा दर्जन कांग्रेसियों के मन मे फुट रहा है । कांग्रेस की परंपरागत गुटबाजी के चलते राजनैतिक वनवास भुगत रहे नेता भी कुसी की चाह लिए एक बार फिर वापसी कर चुनावी बिसात पर किस्मत आजमाने के लिए आतुर नजर आ रहे हैं । इनमें से कुछ को पार्टी ने विभिन्न चुनाव में पहले ही आजमा लिया है । किसी के हाथ सफलता लग चुकी है तो बाकी ने विफलता के साथ पार्टी के खाते में  शर्मनाक हार भी दर्ज करवाई है ।
ये दावेदार अपने राजनैतिक आका और काका के इशारे पर मान्धाता विधानसभा क्षेत्र में परिक्रमा लगा रहे हैं । इनमें से ज्यादातर को खुद मालूम है कि वे टिकट की गनती में किसी भी रूप में शामिल नहीं किए जा सकेंगे फिर भी मीडिया की सुर्खियां बनने की उनकी कवायदें जारी है ।
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दावेदार अपने परिवार के साथ क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं तो कुछ अकेले ही धूल फांक रहे हैं । कुछ ऐसे नेता भी दावेदारी जताने मैदान में घूम रहे हैं जिन्हें न तो मान्धाता विधानसभा क्षेत्र का राजनैतिक, सामाजिक , सांस्कृतिक और भौगोलिक स्थिति ही पता है । वे तो बस अपने उस्ताद के जम्मुरे बने हुए हैं । मजेदार बात तो यह है कि श्राद्ध पक्ष के चलते दावेदार अपने पुरखों के योगदान को भी सियासी तौल कांटे पर रखने से गुरेज नहीं कर रहे हैं । कुछ टिकट को परिवार में ही रखने के लिए एड़ी -चोटी का जोर लगा रहे हैं ।
मान्धाता विधानसभा क्षेत्र में फिलवक्त कांग्रेस के कर्ता- धर्ता भारी उहापोह में है तो वहीं कार्यकर्ता असमंजस है । जैसे – जैसे समय खिसकता जा रहा है वैसे – वैसे चुनावी बाजी भी कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी करती दिखाई दे रही है ।