बाबा पीरानपीर दरगाह पर महफिले रंग के साथ हुआ लंगर

सनावद। बाबा पिरानपीर दरगाह पर महफिले रंग का आयोजन हुआ जिसमें दिल्ली के प्रसिद्ध क़व्वाल चांद कादरी ने अपने सूफिया कलामों से अकीदत के नजराने पेश किये। सुबह 10 बजे से शुरू हुआ महफिले रंग शाम 4 बजे तक चला दूर दूर से दरगाह पर आने वालों जायरीनों ने महफिले रंग में सेकड़ो की संख्या में शिरकत की।

खादिम हाजी अशरफ अली कालू बाबा एंव एस जे के कमेटी की जानिब से यह महफिले रंग, सन्दल चादर, एंव लंगर का आयोजन हुआ। हक मोइन का नारा लगाओ जमालुद्दीन का उर्स मनाओ, दिल की मुरादे इस दर से पाओ झोली सब अपनी भर भर ले जाओ बेंगलोरी बाबा का सदक़ा तुम पाओ, जमालुद्दीन का उर्स मनाओ जैसे सूफियाना कलाम पर श्रोता झूम उठे ओर नजराने दिये।शाम 4 बजे तक रंग की महफ़िल सजी सन्दल चादर के साथ कुल की फातिया हुई जिसमे देश दुनिया की सुख सम्रद्धि ओर खुशहाली की सामूहिक दुआ हुई।

5 बजे से लंगर का आयोजन हुआ कार्यक्रम में इंदौर, उज्जेन खरगोन, खण्डवा, बडवाह सनावद नगर सहित आसपास क्षेत्र के सेकड़ो महिला पुरूष ने रंग के कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम में हाजी इलियास इंदौर, इकबाल भाई उज्जैन, रॉय साहब महू मेहमान खास (मुख्य अतिथि) थे।

हजरत अमीर खुसरो ने शुरू की थी रंग महफिल

सुप्रसिद्ध कव्वाल उस्ताद चांद कादरी जिनका कलाम मेरी जान जाए वतन के लिए देश विदेश में सुनी जाती है। जिसे विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक मंच राज्य सभा के मंच से गाया था और उसके लिए उन्हें प्रधानमंत्री सहित सभी ने सराहा था । कादरी ने बताया कि हजरत अमीर खुसरो ने रंग की महफ़िल की शुरुवात की है यह दरगाहों आस्ताने खानकाहों में पड़ी जाने वाली भक्ति रचनाए होती है जो निस्बत से ताल्लुक रखती है।

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उन्होंने कहा की सरकार जमालुद्दीन की दरगाह पर रंग पड़ने का अवसर मिला मेरी खुश नसीबी है। सनावद की कौमी एकता और सुफिज्म देख के बड़ी खुशी हुई।उन्होंने उर्स कमेटी के इंतेजाम की सराहना की व मेले की खूबसूरती की तारीफ की। साथ ही सनावद की अवाम का प्यार देख कर दिल खुश हो गया बहुत ही सम्मान जनक तरीके से कार्यक्रम का आयोजन हुआ उसके लिए कमेटी को मुबारकबाद दी।

सनावद जैसी मोहब्बत पूरी दुनिया में कायम हो

सनावद नगर अमन की नगरी है बाबा से दुआ करता हु सनावद जैसी आपसी मोहब्बत पूरी दुनिया मे कायम हो।
रंग वाले दिन दरगाह पर विशेष साज सज्जा की जाती है जिसमे गुलाब चमेली मोगरा गेंदे के साथ अनेक प्रकार के फूलों की लड़ी ओर गुलदस्तों से दरगाह शहीत पूरे परिसर को सजाया गया था

जिसमे कई क्विंटल फूल लगे सज्जा करने वाले इस कार्य के लिए विशेष रूप से बुलाये थे।महफिले रंग के दिन विशेष भीड़ रहती है दूर दूर से जायरीन (श्रद्धालु) दरगाह पर चादर चढ़ाने मन्नते उतारने आते है। नियाज ओर तोला दान कर अपनी मान मनन्त पूरी करते है। इसमें सभी धर्मों ओर वर्गों की उपस्थिति रहती है।

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