विद्युत के निजीकरण के लिए लाए गए इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल के विरोध मे….

देशभर के 15 लाख बिजली इंजीनियरों के साथ प्रदेश में 1 जून को काला दिवस मनाएंगे कर्मचारी

 

 

इन्दौर । विद्युत के निजीकरण के लिए लाए गए इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 के विरोध में देशभर के 15 लाख बिजली इंजीनियरों के साथ मध्य प्रदेश के सभी विद्युत कंपनियों के तमाम बिजली कर्मचारी 1 जून को काला दिवस मनाएंगे. संगठन के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य प्रदीप कुमार द्विवेदी जी ने बताया मध्य प्रदेश यूनाइटेड फोरम कार्यकारिणी में यह निर्णय लिया गया।

कि कोविड-19 महामारी के दौरान केंद्र सरकार द्वारा बिजली का निजीकरण करने हेतु इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 का मसौदा जारी करने का पुरजोर विरोध किया जाएगा। NCCOEE के आवाहन पर फोरम ने यह निर्णय लिया है कि देश के 15 लाख बिजली कर्मचारियों के साथ मध्य प्रदेश के भी तमाम बिजली कर्मचारी आगामी 1 जून को काला दिवस मनाएंगे जिसके अंतर्गत बिजली कर्मचारी और इंजीनियर अपने कार्य पर रहते हुए पूरे दिन काली पट्टी बांधकर निजीकरण हेतु लाए गए बिल का पुरजोर विरोध करेंगे ।

मप्र विद्युत कर्मचारी कल्याण संघ ने ऊर्जा मंत्री को बताई अपनी व्यथा

और शाम 5:30 बजे इंदौर, जबलपुर एवं भोपाल सहित प्रत्येक संभाग एवं जिला मुख्यालय पर सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखते हुए विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे.

इस समय विश्व एवं देश भयंकर महामारी कोविड-19 के साथ जूझ रहा है लेकिन इसी समय देश का ऊर्जा मंत्रालय सामान्य दिनों से भी आगे जाकर कार्य करते हुए इसी समय विद्युत अधिनियम सुधार 2020 लाया है जिसमें मुख्यतः निजीकरण को बढ़ावा देना, किसानों एवं अन्य गरीब वर्गों की सब्सिडी का प्रायोगिक कार्य डीबीटी (DBT) लाना तथा निजी घरानों को फायदा पहुंचाने हेतु विद्युत कॉन्टेक्ट इनफोर्समेंट अथॉरिटी बनाने, राज्य सरकार के अधिकार कम करने, बिजली वितरण में लाइसेंसी जैसे सुधार प्रस्तावित है।

यह भी पढ़े: विद्युत अधिकारी कर्मचारी कल्याण संघ ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र में ये कहा..

जिसका देश में सभी बिजली कर्मी विरोध कर रहे हैं क्योंकि इस प्रस्ताव का उद्देश्य निजीकरण को बढ़ावा देकर आम उपभोक्ताओं को बिजली महंगी करना है। भारत सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी के दौरान देश की आर्थिक व्यवस्था सुदृढ़ रखने के लिए जो 90000/ करोड़ रुपए का आर्थिक पैकेज विद्युत क्षेत्र को दिया गया है, उससे वितरण कंपनियों को केवल निजीकरण उत्पादकों के बिलों की राशि देने के लिए लोन दिया जा रहा है।

महेश्वर जल विद्युत परियोजना- 4500 करोड़ रुपए में जो भ्रष्टाचार हुआ है उसकी भरपाई कौन करेगा…?

जिससे विद्युत कंपनियों को कोई फायदा ना होकर उल्टा लोन चुकाने की जिम्मेदारी भी आएगी एवं निजी उत्पादक फायदा उठाएंगे साथ ही इसी पैकेज में यह भी घोषणा की गई है कि सभी केंद्र शासित राज्यों की बिजली वितरण को निजी हाथों में सौंपना है जबकि सभी केंद्र शासित राज्यों में ए एटी एंड सी हानियां 15% के नीचे हैं एवं कहीं-कहीं तो 4.0 - 5.0% ही है.

इसका मतलब यह हुआ कि घाटे के कारण निजीकरण नहीं किया जाना है बल्कि सभी का निजीकरण करके औद्योगिक घरानों को फायदा देने का भारत सरकार का निर्णय है जिसे भविष्य में किया जाएगा. इन सभी बिंदुओं का विरोध करने के लिए हम तैयार हैं एवं इसी के विरोध में दिनांक 1 जून 2020 को देश के सभी 15 लाख विद्युत अधिकारी / कर्मचारी नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एंप्लॉय एंड इंजीनियर्स के आवाहन पर काला दिवस मनाएंगे ।

लोकतांत्रिक आंदोलन का दमन करने हेतु मध्य प्रदेश सरकार द्वारा एस्मा लगाए जाने और आंदोलनों को कुचलने की कार्रवाई से विचलित ना होते हुए सभी कर्मचारियों अभियंताओं से आव्हान है कि वे पावर सेक्टर के निजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में निर्भय होकर लोकतांत्रिक संघर्ष में शत-प्रतिशत एकजुटता सुनिश्चित करें …