घरों में आकर्षक मांडना सजा कर श्रद्धालु कर रहे तप-तपस्या व उपवास

पर्युषण पर्व के सातवें दिन तप धर्म की हुई पूजा अर्चना

खंडवा। इन दिनों नगर में जैन धर्म के महान पर्युषण पर्व पर श्रद्धालुओं द्वारा अपने घरों में ही दस लक्षण धर्म की पूजा अर्चना की जा रही है। कोरोना वायरस महामारी के चलते मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा पूजा अर्चना करने पर प्रतिबंध होने के कारण श्रद्धालु सिर्फ दर्शन करने ही मंदिर पहुंच रहे हैं।

समाज के सचिव सुनील जैन ने बताया कि पर्युषण पर्व के सातवें दिन को तप धर्म के रूप में मनाया जाता है।मात्र शरीर को सुखाना तप नहीं है, इच्छाओं को रोकना ही तप है। उत्तम प्रकार से किया गया तप कर्मों को नाश करने में समर्थ होता है।

जिस प्रकार अग्नि घास को जला देती है उसी प्रकार तप रूपी अग्नि कर्म रूपी घास को जला देती है। तेज अग्नि में तपाये बिना सोना शुद्ध नहीं होता, उसी तरह उत्तम तप के बिना जीव मुक्त नहीं होता। अपने आत्म स्वरूप में तल्लीन होकर वीतराग भाव की वृद्धि करना ही उत्तम तप है। आचार्यों ने तो स्वाध्याय को परम तप बताया है। क्योंकि जिनवाणी का चिंतन औऱ पठन ही श्रेष्ठ तप की राह दिखाता है। जो तप सम्यक्त्व के बिना होता है उसे बालतप कहते हैं।

सुनील जैन ने बताया कि शनिवार को सराफा स्थित पाश्र्वनाथ स्थित जैन मंदिर में प्रात: लीलाबाई हुकुमचंद पाटौदी, कामनी अतुल जैन परिवार के सौजन्य से पंडित निखिलेश जैन द्वारा अभिषेक व शांतिधारा की गई वहीं घासपुरा महावीर जैन मंदिर में महेन्द्र बडज़ात्या, अनिल लुहाडिय़ा, अभय लुहाडिय़ा, राजेश गंगवाल, अशोक लुहाडिय़ा परिवार द्वारा अभिषेक व शांतिधारा की गई। पर्युषण पर्व के दौरान मंदिरों में मंडल विधान की पूजा नहीं की जा रही है। समाज के सभी घरों में दस लक्षण मंडल का मांडना सजाकर घर में ही परिवार के साथ भाव पूजा की जा रही है।