Insurance policy यह तो स्पष्ट है की कोई भी व्यक्ति बीमा प्रीमियम की पहली किस्त का भुगतान कर देने पर बीमित माना जाता है। किन्तु यदि उसने समस्त औपचारिकताओं की पूर्ति तो कर दी पर भुगतान जमा करा कर रसीद प्राप्त नही की तो वह व्यक्ति बिना रसीद के बीमित नही माना जाएगा ।
पर यदि कोई व्यक्ति समस्त औपचारिकताओं को पूर्ण कर भुगतान भी अधिकृत एजेंट को सौंप दे और एजेंट उस भुगतान को जमा कराकर रसीद प्राप्त करें उसके पूर्व यदि बीमित की मृत्यु हो जाए तो ऐसे हालातो में उस व्यक्ति को बीमित माना जाएगा या नही
और क्लेम दिया जाएगा य़ा नही यानी बीमा कंपनी द्वारा रसीद जारी होने से पहले व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो क्या बीमा कंपनी मरने वाले व्यक्ति को बीमित इंसान मानते हुए बीमा क्लेम का भुगतान करेगी।
बीमा पॉलिसी के लिए जो जरूरी औपचारिकताएं होती है उसके जरूरी कागजात बीमा अभिकर्ता द्वारा फार्म भरकर बीमा कंपनी में जमा करा दिए गए हो साथ ही निम्न नियमो की पूर्ति सुनिश्चित हो कि..
1. बीमा के लिए अप्लाई करने वाला व्यक्ति स्वस्थ होना चाहिए। यदि आवेदक की कोई मेडिकल हिस्ट्री है तो उसका आवेदन में स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। इसके अलावा स्वास्थ्य संबंधी सभी शर्तों की जांच की जाएगी।
2. बीमा के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति की आय इतनी होनी चाहिए कि आप बीमा पॉलिसी की किस्त समय पर भर सकें।
3. पारिवारिक इतिहास= इसमें ये देखते हैं कि बीमा लेने वाले व्यक्ति के परिवार में किसी पारिवारिक सदस्य की मृत्यु किसी ऐसी बीमारी से तो नहीं हूई जो वंशानुगत चलतीं है।
4. और कुछ औपचारिकताएं है लेकिन वो सब तो पूरी हो ही जाती है।
पर यदि किश्त जमा नही कराई गयी हो या रसीद जनरेट नही हो पायी हो ..और व्यक्ति कि मृत्यु हो जाए ..
बीमा लेने वाला व्यक्ति बीमित व्यक्ति तभी बनता है जब उसे पालिसी क्रमांक मिल जाए और पालिसी क्रमांक तभी मिलता है जब काउंटर पर प्रीमीयम जमा हो जाए।
कैश काउंटर पर बीमा कंपनी के कर्मचारी को भुगतान करने के बाद और बीमा पॉलिसी नंबर जनरेट होने से पहले किसी व्यक्ति की मृत्यु का मामला अब तक सामने नहीं आया है।
यदि ऐसा होता है तो इंश्योरेंस कंपनी के मैनेजमेंट पर निर्भर करेगा कि वह क्या फैसला करता है और यदि वह न्याय उचित फैसला नहीं करता तो इस तरह के मामलों का निपटारा सक्षम न्यायालय में किया जाता हैं।