हाड़ कांपती सर्दी हो या घनघोर बारिश अखबार तो आपके घर पहुंचता ही है सच्चे अर्थों में कर्मयोगी होते हैं अखबारों के वितरण करने वाले यह हॉकर,बच्चा बीमार हो या पत्नी, मां बीमार हो या बहन कर्तव्य के प्रति निष्ठा इनकी डिगती नहीं। ऐसे ही कर्मयोगी है हिसार के 65 वर्षीय बुजुर्ग अमरनाथ। आज हम उनकी ही एक सच्ची कहानी इस वीडियो में बताने जा रहे हैं..
प्रोफेसर कालोनी में रहने वाले कर्मयोगी 65 वर्षीय बुजुर्ग अमरनाथ चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में कर्मचारी रही 63 वर्षीय पत्नी विमला देवी के साथ रहते थे। सोमवार को विमला देवी को सोमवार रात हृदयाघात हुआ। सूचना मिलते ही मुहल्लेवाले और रिश्तेदार पहुंचने लगे।
इस बीच 4 बज गए बुजुर्गवार की निगाह अचानक घड़ी पर पड़ी, चार बज रहे थे। उन्होंने साइकिल निकाली। लोगों ने पूछा-आज भी अखबार बांटेंगे? बोले-हां। पाठक इंतजार कर रहे होंगे। सीधे न्यूज पेपर एजेंसी पहुंचे। अपने हिस्से का अखबार लिया बांटा। तब तक दोनों बेटे मनोज व पंकज और परिवार वाले शव श्मशान घाट पर ले जा चुके थे।
यह भी पढ़े: मालवा: 16 साल के छात्र ने बनाई ऐसी खास डिवाइस, चोर कभी चुरा ही नहीं पाएगा कार
इसके लिए अमरनाथ उन्हें स्वयं कह गए थे। यह कहकर कि वह दस बजे तक श्मशान घाट पहुंच जाएंगे। अखबार बांटने के बाद वह सीधे श्मशान घाट पहुंचे।पत्नी के चेहरे को भरी आंखों से देखा। माथे पर स्नेहिल स्पर्श किया। गालों पर मोती ढुलक आए और उसके बाद अंत्येष्टि की। अमरनाथ के साथी पवन मित्तल बताते हैं कि अमरनाथ ने सदा ही अपने कर्तव्य को प्राथमिकता पर रखा। वह 30 वर्ष से अखबार वितरण का कार्य कर रहे हैं। लेकिन वर्ष के चार दिन होली, दीवाली, 15 अगस्त और 26 जनवरी के अतिरिक्त कभी अवकाश नहीं लिया।
इन चार दिन भी वह इसलिए अवकाश लेते हैं, क्योंकि अखबारों में अवकाश रहता है और छपते नहीं। उनके पत्नी ने भी उन्हें सहयोग किया। परिवार वालों ने भी किसी ने कभी छुट्टी करने की जिद नहीं की। पत्नी के निधन के बाद भी परंपराओं के अनुसार उनकी आत्मा की शांति के लिए अखबार बांटने के बाद लौटकर सारे कार्य संपन्न करते हैं।