मकर संक्रांति 2024 व्यतिपात उपरांत वरियान शुभ रवियोग में 15 जनवरी को मनेगी

makar sankranti 2024

भगवान सुर्य नारायण को अर्घ्य दिया जायेगा, मकर राशि में होगा सूर्य का प्रवेश

– सूर्य आराधना के महापर्व से शुभ मांगलिक कार्य आरंभ हो जायेंगे

 

उज्जैन। वैदिक ज्योतिष गणना के आधार पर  मकर संक्रांति 2024 (makar sankranti 2024)  इस वर्ष 15 जनवरी सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी कुंभ राशि का चंद्रमा रहेगा। इस वर्ष सोमवार क़ो व्यतिपात योग रवि योग के साथ कुंभ राशि शनि स्वग्रही शनि चंद्र की युती कंजेशन शुक्ल पक्ष उजाले में होने से लाभकारी है। रवि योग में सुर्य कि सविता पवित्र उर्जा से लाभ होता है।

Makar Sankranti 2024: शुभ तिथी समय

ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास के अनुसार श्रद्धालु पवित्र तिथि पर स्नान कर सुर्य को अर्ध्य देकर अन्न, खिचड़ी, तिल, लड्डू, गुड़, लाल वस्त्र, घी का दान कर पुण्य लाभ अर्जित कर सकते हैं। मकर संक्रांति को सूर्य देव की कृपा से शनि महाराज का घर धन-धान्य से परिपूर्ण होता है।

पं. अजय व्यास ने कहा कि शुभ उद्यात तिथि समय 7/13 से 9/31 रवि व्यतिपात योग उपरांत वरियान योग बन रहा है। सनातन पौराणिक वैदिक धर्म संस्कृति मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति का त्योहार नये साल की शुरुआत में मनाया जाता है. यह सूर्योपासना का महापर्व है।

17 जनवरी से विवाह शुभ कार्य आरंभ होंगे

मकर संक्रांति एक मौसमी याने ऋतु पर्व त्यौहार है, यह शरद और शीत ऋतु का संधिकाल काल ​​है। मकर संक्रांति का त्योहार जनवरी में ठंड के मौसम में आता है, इसीलिए इस दौरान सूर्य की पूजा करने और खिचड़ी और तिल-गुड़ खाने की परंपरा बनाई गई ताकि बदलते मौसम का स्वास्थ्य और जीवन पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े। कहा जाता है कि इस दिन गुड़, तिल और बाजरा आदि का दान करने से भगवान सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं। खरमास खत्म होने के साथ ही 17 जनवरी से विवाह के शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे।

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15 जनवरी को सूर्य होंगे उत्तरायण

उत्तरायण और दक्षिणायन दोनों की अवधि छह-छह महीने होती है। जब सूर्य उत्तर की ओर बढ़ता है और मकर राशि से मिथुन राशि तक यात्रा करता है, तो इसे उत्तरायण कहा जाता है और जब यह कर्क राशि से धनु राशि तक दक्षिण की ओर यात्रा करता है, तो इसे दक्षिणायन कहा जाता है। तुला राशि के लिए वृषभ सर्वोत्तम है, वृश्चिक लग्न सर्वोत्तम है, प्रधानमंत्री शुभ हो रहे हैं।

इसी नक्षत्र में राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह इसी नक्षत्र के चतुर्थ चरण में अर्थात अभिजीत मुहूर्त में होने जा रहा है। जब सुर्य की प्रदीप्त सविता सृष्टि को उर्जा प्रदान कर रही होंगी, चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र वृषभ राशि में रहेंगे। भगवत गीता में भगवान कृष्ण ने स्वयं को अभिजीत नक्षत्र कहा है। सृष्टि उत्पत्ति के दैविक आध्यात्मिक मनुष्य जीवन के रहस्य जुड़े हैं। पारंपरिक ग्रंथों में चंद्रमा की पत्नियों में 27 नक्षत्र 28वां पुत्र अभिजीत संज्ञक है।

तब से सतर्क, जाग्रत, प्रोत्साहन, बुध्दिमान, परिपक्वता का प्रतीक है जिसकी आकृति सोर मंडल में घोड़े के मुख के समान है विजय और अपराजेय का स्वरूप है। 22 जनवरी मास -पोष पक्ष – शुक्ल तिथि द्वादशी वार सोमवार सुर्य उ षाढा नक्षत्र चंद्र वृषभ राशि में नक्षत्र मृगशिरा लग्न मेष नक्षत्र भरणी शुभ मुहूर्त समय 12.29 मिनट 8 सेकंड से 12.30 से 32 सेकंड तक कुल 84 सेकंड का शुभ मुहूर्त में होगा।

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