✍️दिनेश पाटनी सनावद से
गुरुवार को जिला सहकारी केंद्रीय बैंक द्वारा अपनी ऋण राशि की वसूली के लिए अवंती मिल की खसरा नंबर 548 तथा खसरा नंबर 551 /2 की करीब 4887 वर्ग मीटर जमीन की नीलामी हेतु क्रेताओं से बंद लिफाफे में निविदाएं ली गई। बताया जाता है इसमे मिल के स्वनिर्मित की 31 में से तेरह दुकान सर गोदाम इस नीलामी प्रक्रिया में शामिल है।
दूसरी ओर ,इस दौरान बैंक को इसके विक्रय का अधिकार नहीं बताते हुए क्षेत्रीय विधायक सचिन बिरला के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं एवं प्रभावितो द्वारा मिल समक्ष विरोध तथा धरना प्रदर्शन किया गया। जिसका कोई भी असर मौजूद अनुविभागीय अधिकारी प्रवीण फुलमालगे, बैंक अधिकारियों, मिल प्रशासक तथा नीलामी की प्रक्रिया पर नहीं देखा गया।
विदित है, मंगलवार को कोऑपरेटिव सोसायटी से हटाए गए सदस्यों गए द्वारा शासन को ज्ञापन देकर उनकी जमा अंश पूंजी आदि के निराकरण तक इस नीलामी प्रक्रिया को रोके जाने की मांग भी की गई थी। गुरुवार के बेअसर विरोध के बाद विधायक बिरला ने इसे खरगोन जिले का काला दिवस बताया। मामले में आगे की रणनीति पर उनके द्वारा 25 सितंबर शुक्रवार को जिलाधीश अनुग्रहा पी से चर्चा होकर तदनुसार आगे रणनीति अनुसार संघर्ष की बात कही गई है।
प्रदेश में कामगार द्वारा प्रबंधित और संचालित पहली मिल
वदरअसल, प्रदेश में पहली बार प्रयोग के तौर पर 2002 में बंद सूत मिल को पूर्व कार्यरत कामगारों द्वारा गठित अवंति मिल वर्कर्स इंडस्ट्रीयल को-ऑपरेटिव सोसायटी को सन 2006 में निर्धारित शर्तों और मूल्य (5.21 करोड़ रुपए)पर संचालन और संधारण के लिए सौंपा गया था। ताकि बेरोजगार हुए कामगारों को स्थानीय स्तर पर ही कामकाज मिल सके और नगर क्षेत्र में एक सार्वजनिक उपक्रम की उपस्थिति बनी रहे।
मिल को चलाने के लिए सोसाइटी के पूर्व संचालक व अध्यक्ष राजेंद्र सांकल्ले के द्वारा मिल की वर्किंग कैपिटल, मशीनें खरीदने और सिविल वर्क के लिए दस्तावेजों के आधार पर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक खरगोन से 52.5 करोड़ का लोन लिया गया था।2015 से 2019 दौरान अध्यक्ष साकल्ले द्वारा फर्जी दस्तावेज तैयार कर उक्त लोन लिया जाने का मामला उजागर हुआ। वह तेरह महीने फरार रहे , उन पर पुलिस द्वारा 1000 का इनाम घोषित किया गया । अंततः वह 10 फरवरी 2019 को भोपाल से गिरफ्तार हुए।
पहले भी मिल संपत्ति के विक्रय का हुआ था प्रयास
विदित है अक्टूबर 2019 की स्थिति में सूत मिल बैंक का करीब 60 करोड़ रुपए का कालालीत ऋण था। इसकी वसूली के लिए बैंक द्वारा सूत मिल की परिसंपत्तियों मे फैक्ट्री के सामने, साइकिल स्टैंड सहित क्वार्टर वाली जमीन सहित दुकानों की नीलामी की जानी थी। इस पर विधायक बिरला ने मिल इस संपत्ति की नीलामी को रोकने को लेकर पुरजोर कोशिश की गई थी ।
जिसके रहते प्रशासन द्वारा संबंधित जमीन और दुकानों का विक्रय भूमि की निष्पादित लीज डीड कंडिकाओ एवं मिल वर्कर्स सोसायटी के साथ निष्पादित विक्रय लेख के अनुसार नहीं पाए के आधार पर नीलामी की प्रक्रिया रोकने संबंधी स्थगन आदेश जारी किया गया था।
इस परिदृश्य में मिल के वर्तमान प्रशासक व संयुक्त आयुक्त सहकारिता द्वारा बैंक से 10 करोड़ की लोन राशि ली गई थी।
कहते हैं इस दौरान फैक्ट्री परिसर की जमीन का भू परिवर्तन किया जाकर मुख्य द्वार के दाहिनी ओर इंदौर हाईवे किनारे 14 तथा बांई तरफ बाउंड्री वॉल से पीछे की ओर 26 दुकान सह गोदाम का निर्माण हुआ है। जिस्म से एक दुकान का भी करें पूर्व में किया जा चुका है। जबकि यह निर्माण शासन द्वारा इसके लिए के लिए दी गई अनुमति, संबंधित विभाग द्वारा किया गया नियम विरुद्ध भूमि परिवर्तन और नगर पालिका की नक्शा स्वीकृति अनुसार निर्मित नहीं होने से विवादित होकर जांच का विषय रहा है।