बड़वाह। शहर के गवली मोहल्ले के पास बहने वाली पाडली नदी से होकर गुजरने वाली मां नर्मदा परिक्रमा पथ से बड़ी संख्या में परिक्रमावासी गुजरते हैं। रास्ते का एक हिस्सा ऐसा भी है जहां श्रद्धालु नाले में तब्दील हो चुकी नदी से होकर गुजरते हैं. 100 फीट लंबे उबड़-खाबड़ रास्ते पर कई बार परिक्रमावासी कीचड़ में फंस जाते तो कई बार गिरकर घायल हो जाते।
परिक्रमावासियों की परेशानी को देखते हुए क्षेत्रवासियों और गोपाल गणेश उत्सव समिति ने कई बार नगर पालिका से यहां पुल बनाने की अपील की। जब निर्माण नहीं हुआ तो लोगों ने जून 2023 में जनसहयोग लेकर यहां परिक्रमा पुल (Parikrama Bridge) बनाना शुरू कर दिया। सात महीने बाद 17 जनवरी को पुल पर स्लैब बिछाया जाएगा। यह पुल 70 फीट लंबा और 5 फीट चौड़ा है। निर्माण के दौरान इस बात का भी ख्याल रखा जा रहा है कि बरसात के दौरान पढ़ली नदी में बाढ़ आने से पुल क्षतिग्रस्त न हो.
Parikrama Bridge का 22 तारीख को महंत करेंगे शुभारंभ
समिति के सदस्यों ने बताया कि गोपाल मंदिर के महंत हनुमानदास जी महाराज की प्रेरणा से यह कार्य किया गया है. अब 22 जनवरी को महंत पूजा-अर्चना कर परिक्रमा पुल (Parikrama Bridge) से आवागमन शुरू करेंगे। इससे परिक्रमावासियों के लिए नर्मदा पथ की राह आसान हो जाएगी। इस रास्ते को पार करने में होने वाली परेशानियों से भी अब राहत मिलेगी. 2 लाख रुपए की लागत से पुल बनने के बाद भी जनभागीदारी से रैंप और सीढ़ियां बनाई जाएंगी।
दंडवत परिक्रमा करने वाले यात्रियों को होती थी परेशानी
गोपाल गणेश उत्सव समिति के सदस्य शैलेन्द्र शर्मा ने बताया कि वह बचपन से ही परिक्रमावासियों को इस मार्ग से गुजरते हुए देख रहे हैं। स्थानीय लोग और परिक्रमावासी 50 वर्षों से अधिक समय से यहां आ रहे हैं।
कई बार परिक्रमावासी पानी में रखे पत्थरों के बीच से गुजरते समय कीचड़ में गिर जाते थे। उन्हें कुछ दूरी पर स्नान करना पड़ जाता था । कोरोना के समय स्थानीय लोगों ने दंडवत परिक्रमा कर रहे एक श्रद्धालु के लिए लकड़ी, लोहे की टेबल और कपड़े बिछाकर परिक्रमा वासी को रास्ते से निकाला गया था।
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