बाल कविता- गांधी-शास्त्री के गुण गाएं

बाल कविता
राष्ट्रपिता
गांधी-शास्त्री के गुण गाएं
धन्य-धन्य हे दो अक्टूबर
दो भारत रत्न दिए अमर।
             एक राष्ट्रपिता,दूजा लाल
              धन्य-धन्य हे दो अक्टूबर।।
              बापू की तुम याद दिलाते
               सत्य – अहिंसा सिखलाते ।
प्रेम-दया-त्याग का सागर
बापू के गुण जन-जन गाते ।।
लाल बहादुर सीधे – साधे
थे  इनके  मजबूत   इरादे ।
           सादगी, धैर्य की तुम गागर
            गुदड़ी के लाल नाम से जाने ।।
देश की खातिर मिट जाएं हम
राष्ट्र – उदय में जुट  जाएं  हम ।
             समर्पण भाव के दोनो महासागर
              कोटि वंदन कर शीश झुकाएं हम ।।
राष्ट्रपिता के निर्णय की जय हो
शास्त्री  के   धैर्य   की  जय  हो ।
              इन नारो से गुंजायमान हो अंबर
              आप दोनों के आदर्शों की जय हो ।।
गोपाल कौशल भोजवाल 
✍️ गोपाल कौशल भोजवाल 
     नागदा जिला धार मध्यप्रदेश