टाटा, बिड़ला अंबानी जैसे कारोबारी घरानों को भी बैंकिंग सेक्टर में मिल सकती है एंट्री

 

आरबीआई की ओर से देश के कारोबारी घरानों के लिए पेमेंट्स बैंक का रास्ता साफ किए जाने के बाद अब उन्हें कमर्शियल बैंक के सेक्टर में भी अनुमति दी जा सकती है। यदि ऐसा होता है तो मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाला रिलायंस इंडस्ट्रीज समूह या फिर रतन टाटा का टाटा समूह जैसे कारोबारी घराने इस सेक्टर में उतर सकते हैं।

 

सूत्रों के मुताबिक सरकार की ओर से इन कारोबारी घरानों को एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक जैसे वित्तीय संस्थान शुरू करने की अनुमति दी जा सकती है। बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई के इंटर्नल वर्किंग ग्रुप की मीटिंग की रिपोर्ट में ओनरशिप गाइडलाइंस और कॉरपोरेट स्ट्रक्चर को लेकर चर्चा हुई थी। इससे यह संकेत मिल रहे हैं।

रिपोर्ट का कहना है कि बड़े कारोबारी और औद्योगिक घरानों को बैंकों के प्रमोटर के तौर पर अनुमति दी जा सकती है। इसके अलावा ऐसी नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों को भी बैंक में तब्दील किए जाने का प्रस्ताव है, जिनका कैपिटलाइजेशन 50,000 करोड़ रुपये से अधिक है। हालांकि इन्हें लेकर यह शर्त रहेगी कि इनकी शुरुआत हुए 10 साल से अधिक बीत गए हों।

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आदित्य बिड़ला ग्रुप, बजाज ग्रुप, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और टाटा संस जैसी कंपनियां पहले से ही एनबीएफसी का संचालन कर रही हैं और आरबीआई के प्रस्ताव के तहत ये ग्रुप इनके ही बैंकिंग सेक्टर का हिस्सा हो सकते हैं। हालांकि बीते सालों में केंद्रीय बैंक बैंकिंग लाइसेंस जारी करने को लेकर बहुत ज्यादा उदार नहीं रहा है।

आरबीआई की ओर से बैंकिंग के लिए आखिरी दो लाइसेंस आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और बंधन बैंक को 7 साल पहले दिए गए थे। इन्हें वित्तीय समावेशन के उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था। इससे पहले केंद्रीय बैंक ने कोटक महिंद्रा बैंक और यस बैंक को बैंकिंग लाइसेंस दिए थे। हालांकि बीते कुछ सालों में आरबीआई ने पेमेंट्स बैंक और स्मॉल फाइनेंस बैंकों को बड़े पैमाने पर लाइसेंस जारी किए हैं। आरबीआई का कहना है यह लाइसेंस इसलिए दिए गए हैं ताकि उन लोगों का भी वित्तीय समावेशन किया जा सके, जो अब तक बैंकिंग सेक्टर से बाहर रहे हैं।

यदि आरबीआई की ओर से इस प्रस्ताव को मंजूरी दी जाती है तो बैंकिंग सेक्टर में यह बड़े बदलाव की शुरुआत होगी। सरकार पहले ही सरकारी बैंकों के कंसोलिडेशन में जुटी है और फिलहाल देश में 6 से 7 बड़े सरकारी बैंक ही बनाए रखने का प्रस्ताव है। इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर में भी 3 से 4 ही बड़े बैंक मौजूद हैं। ऐसे में यदि अब आरबीआई की ओर से दिग्गज घरानों को बैंकिंग सेक्टर में एंट्री की अनुमति दी जाती है तो फिर उनके द्वारा संचालित बैंक कई मिड-साइज बैंकों से ज्यादा बड़े हो सकते हैं।

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